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This Article is From Mar 20, 2024

MCB: मुर्गी का मेकअप कर घर-घर घुमाते हैं ग्रामीण, जानें इसलिए निभा रहे सदियों पुरानी परंपरा

Holi Special: छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले में होली के पहले मुर्गी का श्रृंगार कर उसे घर-घर घुमाने की ग्रामीण अनूठी परम्परा निभाते हैं. ग्रामीणों की मान्यता है कि इससे गांव में खुशहाली आती है, महामारी नहीं होती और बुरी बलाएं भी टल जाती हैं. 

MCB: मुर्गी का मेकअप कर घर-घर घुमाते हैं ग्रामीण, जानें इसलिए निभा रहे सदियों पुरानी परंपरा

Holi Special Story: छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-chirmiri-Bharatpur) जिले में बैगा समाज के लोग अनूठी परंपरा निभा रहे हैं. यहां महामारी (Pandemic) से बचने के लिए समाज के लोग होली से पहले मुर्गी को बिंदी, चूड़ी और माला से श्रृंगार कर उसे गांव में घर-घर दाना चुगने के लिए ले जाते हैं.  इसके बाद उसकी पूजा कर अंत में मुर्गी को गांव से बाहर ले जाकर छोड़ दिया जाता है. ग्रामीणों की मान्यता हैं कि इससे गांव में हैजा, समेत अन्य प्रकार की बीमारी नहीं आती है. साथ ही गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 

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मुर्गी को घुमाते हैं घर-घर

बीमारी से बचने और सुख-समृद्धि के लिए मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB)नगर पंचायत जनकपुर, बरहोरी,भगवानपुर,घघरा ,बड़वाही समेत अन्य गांवों में जहां बैगा जनजाति के लोग रहते हैं, वहां यह अनोखी परंपरा का निर्वहन कई वर्षों से किया जा रहा है. होली से पहले मुर्गी व बकरी का श्रृंगार कर गांव के घर-घर घुमाया जाता है. यहां बैगा जनजाति के लोग पूजा करते हैं. साथ ही चावल व सब्जी दान करते हैं. वहीं, अपनी सुविधा अनुसार मुर्गी व बकरी का श्रृंगार मंदिर में ले जाकर किया जाता है और पूजा की जाती है। मंदिर में पूजा करने के बाद ग्रामीण ढोल-नगाड़े के साथ मुर्गी व बकरा को गांव घुमाते हैं. 

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सालों पुरानी परंपरा निभा रहे ग्रामीण

बैगा जनजाति (Baiga tribe) के लोगों ने बताया कि पूर्वजों की बनाई यह परंपरा वर्षों से गांव में निभाई जा रही हैं. यहां पूजा करने के दौरान ग्रामीण अनाज और सब्जी दान करते हैं. मुर्गी के निकासी के बाद नदी किनारे भंडारा का आयोजन करते हैं, यहां पूजा संपन्न होती हैं. जिस मुर्गी या बकरी का शृंगार कर बैगा पूजा करते हैं, उसे अंत में गांव से बहने वाली नदी के दूसरे छोर पर जंगल की ओर छोड़ा जाता है. भगवानपुर के गरीबा मौर ने बताया कि पूर्वजों के समय बनाई इस परंपरा का निर्वहन वर्षों से हम लोग करते आ रहे हैं. होली के पहले यहां परंपरा निभाई जाती है. वहीं पंडा शोभन बैगा ने बताया कि मुर्गी या बकरी का शृंगार कर गांव में बाजे-गाजे के साथ घुमाया जाता है और अंत में उसे गांव से बाहर जंगल में छोड़ दिया जाता है. निकासी के दौरान गांव की सभी बुरी बलाएं उसके साथ चली जाती हैं और घर और गांव में खुशहाली आती हैं. अंत में भंडारे का आयोजन करते हैं ग्रामीणों ने बताया कि मुर्गी के श्रृंगार और पूजा के बाद उसे गांव में घुमाया जाता हैं. 

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