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छत्तीसगढ़ के इस गांव में पहली बार मनाई जा रही महाशिवरात्रि, कारण जान रह जाएंगे दंग

Mahashivratri 2024: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव के एक गांव में पहली बार महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है. यह गांव कभी नक्सली प्रभावित हुआ करता था, लेकिन आज यहां भगवान शिव की पूजा की जा रही है. हम आपको इसके पीछे की कहानी बताने जा रहे हैं.

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छत्तीसगढ़ के इस गांव में पहली बार मनाई जा रही महाशिवरात्रि, कारण जान रह जाएंगे दंग
मड़ानार गांव में शिवलिंग के ऊपर पानी की धारा गिर रही है.

Mahashivratri Special: महाशिवरात्रि का पर्व आज देश भर में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर आपको एक ऐसी घटना के बारे में बता रहे हैं, जो अपने आप में एक चमत्कार (Miracle) है या कहें कि यह व्यक्ति की आस्था का विषय है. दरअसल, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोंडागांव (Kondagaon) में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसे लोग किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं. एक ऐसा गांव जहां कभी नक्सलियों (Naxalite Area) का बोलबाला रहा है. यह गांव नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था. लेकिन, वर्तमान में यहां के लोग भगवान की भक्ति में लीन हैं. यहां पहली बार महाशिवरात्रि मनाई (Mahashivratri Celebration) जा रही है.

आठ साल की बच्ची को हुए भगवान शिव के दर्शन 

बताया जा रहा है कि कोंडागांव से महज 15 किमी दूर बसे मड़ानार गांव की एक आठ साल की बच्ची को भगवान शिव के दर्शन हुए. बच्ची ने जब इस बात को घर वालों और गांव वालों को बताया तो विश्वास करना मुश्किल था. लेकिन, जिस स्थान पर यह सब हुआ जब गांव के लोग वहां पहुंचे तो दंग रह गए. दरअसल, आठ साल की नंदनी ठाकुर ने बताया कि सावन के पावन महीने में उसे भगवान शिव के साक्षात दर्शन हुए. उसने बताया कि जब वह बोड़ा के लिए घने जंगल में गई, उस दौरान उसकी दादी बोड़ा खोद रही थी. तभी उसे तेज लाइट दिखी और कुछ पल के लिए भगवान शिव के दर्शन हुए.

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कोंडागांव के इस गांव में पहली बार महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है.

बच्ची के बताने पर ग्रामीण जंगल पहुंचे. जहां उन्हें घने जंगल के बीच में एक गड्ढे में शिवलिंग, नंदी, गणेश मिले. इसके साथ ही ग्रामीणों को पानी की बहती धारा भी मिली. यह सब किसी चमत्कार से कम नहीं था. क्योंकि पानी की धारा सीधे शिवलिंग के ऊपर गिर रही थी. यह इसलिए भी आश्चर्यचकित करने वाला था क्योंकि आस-पास का पूरा इलाका सूखा हुआ है. लेकिन, पानी की धारा अविरल बह रही है. इसके बाद ग्रामीण इसे भगवान की देन मानते हुए पानी की धारा को गंगा माता के रूप में पूजा करने लगे.

इतिहासकारों का क्या कहना है?

इस मामले पर इतिहासकारों का मानना है कि यह खोज और शोध का विषय है. घना जंगल और वहां पानी के तेज बहाव के कारण बना गड्ढा, जिसके बीच शिवलिंग मौजूद है, शिवलिंग वहां कैसे पहुंचा? इस पर इतिहासकार घनश्याम सिंह नाग ने कहा कि ये स्वयंभू शिवलिंग है. ग्रामीणों के अनुसार आस-पास माता पार्वती और भगवान राम की मूर्ति हो सकती है. इसे लेकर इतिहासकार का कहना है कि ये शोध और खोज का विषय है.

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