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Mahadev Betting APP: क्या है महादेव बेटिंग ऐप? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत , यहां जानें सब कुछ 

Mahadev Betting App: महादेव सट्टा ऐप का नेटवर्क छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में तेजी से फ़ैल गया था. पिछले साल सरकार ने इसे बैन कर दिया था. मास्टर माइंड की गिरफ्तारी के बाद ये ऐप एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. 

Mahadev Betting APP: क्या है महादेव बेटिंग ऐप? कैसे हुई थी इसकी शुरुआत , यहां जानें सब कुछ 

Mahadev Betting App News: महादेव सट्टा ऐप का मास्टर माइंड सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से ये ऐप सुर्ख़ियों में आ गया है. इस ऐप को सरकार आने पिछले साल बैन कर दिया था. इसके मास्टरमाइंड की तलाश की जा रही थी.  सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ में खलबली मची हुई है. आइए जानते हैं क्या है ये ऐप ?  

जानें क्या है ये ऐप 

महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया ऐप है. इस पर साइन इन करने वाले यूजर्स पोकर, चांस गेम्स और कार्ड गेम्स जैसे कई गेम खेल सकते थे. इस ऐप के जरिए क्रिकेट, फुटबॉल , बैडमिंटन, टेनिस, जैसे खेलों में सट्टेबाजी भी की जाती थी. इसकी शुरुआत 2019 को  छत्तीसगढ़ के भिलाई के  रहने वाले सौरभ चंद्राकर ने की थी.

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साल 2017 को इन दोनों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी के जरिए पैसा कमाने की प्लानिंग की थी. इसी इरादे से एक वेबसाइट बनाई. फिर ये दुबई चला गया. फिर अपने दोस्त को भी दुबई बुला लिया और दोनों ने इस एप पर काम करना शुरू किया. देखते ही देखते इस बेटिंग ऐप का नेटवर्क तेजी से फैलने लगा. 

कई तरीकों से कराया प्रमोशन

इस ऐप का प्रमोशन सोशल मीडिया सहित अन्य कई तरीकों से कराया। देखते ही देखते खूब पॉपुलर हो गया और कुछ महीनों में 12 लाख से ज़्यादा यूज़र्स हो गए. ईडी की जांच में ये बात सामने आई है कि इनमें से अधिकांश संख्या छत्तीसगढ़ की थी. क्रिकेट, चुनाव रिजल्ट से लेकर कई मामलों में सट्टा लगाया जाता था. देश के कई अलग-अलग राज्यों में महादेव बेटिंग ऐप के 30 कॉल सेंटर थे.

भारत में इस बेटिंग ऐप को ऑपरेट करने की जिम्मेदारी सौरभ और रवि ने अपने ही करीबी दोस्त अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को दी थी. इस सिंडिकेट को चलाने के लिए पुलिस,नेता और ब्यूरोक्रेट्स को भी हिस्सेदारी दी गई थी.

ऐसे काम करता था नेटवर्क 

ये कंपनी लोगों को सट्टेबाजी के जरिए पैसे कमाने का लालच  देकर इनके  लोगों को अपने साथ जोड़ते थे.जुड़ने के लिए यूजर बताए गए नंबर दिया गया था, जिस पर संपर्क करते थे. जिसके बाद इन यूजर्स को व्हाट्सएप के एक प्राइवेट ग्रुप से जोड़ दिया जाता था. इसके बाद उन्हें कुछ वेबसाइट्स पर अपनी आईडी क्रिएट करने के लिए कहा जाता था.

एक बार आईडी बन जाने के बाद यूजर्स को दो फोन नंबर दिए जाते थे. एक फोन नंबर के माध्यम से ये यूजर्स आईडी में पैसे के साथ प्वाइंट जमा करते थे.

जबकि दूसरा नंबर आईडी के प्वाइंट को भुनाने और वेबसाइट से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था. इसके बाद ये यूजर्स बेनाम खाते में पैसा जमा कराते थे. जीतने के बाद उसी खाते से वह अपना पैसा निकाल भी लेते थे. 

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