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एक दशक बाद छत्तीसगढ़ के इस गांव में होगा चुनाव, लेकिन वोटर्स नहीं जानते कि कब होगी वोटिंग

Voting will be held in Naxal affected area Palnar: माओवादी से प्रभावित पालनार में कुछ महीने पहले पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे गांव के हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं. वहीं इस बार लोकसभा चुनाव में दौरान इस केंद्र पर एक दशक बाद वोटिंग होगी.

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एक दशक बाद छत्तीसगढ़ के इस गांव में होगा चुनाव, लेकिन वोटर्स नहीं जानते कि कब होगी वोटिंग
 पालनार में एक दशक बाद होगी वोटिंग.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha elections 2024) के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है. इसके लिए तैयारियां पूरे जोरों-शोरों पर हो रही है. वहीं पहले चरण में प्रदेश के 11 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, जिसमें से एक बस्तर सीट (Bastar) भी शामिल है. वहीं इस सीट का एक गांव ऐसा भी है, जहां दशकों बाद वोटिंग होनी है. ये बीजापुर (Bijapur) के अति संवेदनशील मतदान केंद्र पालनार (Palnar) है.  हालांकि पालनार के अलावा 5 और मतदान केंद्र हैं, जहां लंबे अंतराल के बाद लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तैयारी हो रही है, लेकिन इन इलाकों में न ही मतदान को लेकर चर्चा है और ना ही मतदाताओं को तारीख की जानकारी है. 

मतदताओं को नहीं है चुनाव तारीख और मतदान केंद्र की जानकारी

एक ओर जिला मुख्यालय में मतदाता जागरूकता के नाम पर प्रशासन स्वीप कार्यक्रम के तहत् रैली-नुक्कड़ सभाओं के अलावा पाम्पलेट-पोस्टर के जरिए प्रचार-प्रसार भरपूर कर रहा है. इसके उलट जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर पालनार गांव का है, जहां 2013 विधानसभा चुनाव के बाद इस केंद्र पर कभी भी वोटिंग नहीं हुई. हालांकि इस साल होना लोकसभा चुनाव में यहां मतदान केंद्र बनाया गया है, लेकिन यहां के वोटरों में मतदान पर्ची का वितरण तो दूर मतदाताओं को चुनाव की तारीख तक मालूम नहीं  है.

बता दें कि इस गांव में जाने के लिए सबसे पहले पक्की सड़क के जरिए चेरपाल पहुंचते हैं और फिर कच्ची सड़क से होकर पालनार गांव पहुंचा जा सकता है. सलवा जुडूम के दौर में दूसरे गांवों की तरह ये गांव भी वीरान हो गया था.

गांव की चौकसी कर रहे केंद्रीय रिजर्व बल के जवानों ने बताया कि 19 अप्रैल को स्कूल की पक्की इमारत में वोटिंग होनी है. 

नक्सलियों के भय से पलायन कर गए थे ग्रामीण

सलवा जुडूम के दौर में नक्सलियों के भय से लोग पलायन कर गए थे. हालात अब कुछ संभले से नजर आ रहे हैं. गांव अब फिर से बस रहा है. कच्ची सड़क के दोनों ओर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ग्रामीणों के मकान नजर आने लगे हैं.  गांव में आंगनबाड़ी के अलावा स्कूल की पक्की इमारत भी बन चुकी है.

वहीं NDTV की टीम मतदान को लेकर गांव के महिलाएं और  युवाओं से बीतचीत की. इस दौरान टीबी की बीमारी से ग्रसित एक व्यक्ति ने कहा कि उनके पास मतदाता परिचय पत्र नहीं है, लेकिन आधार और राशन कार्ड है. उन्होंने आगे कहा कि गांव में मतदान कब होनी है, इसकी जानकारी नहीं है. कोई भी शख्स इसकी जानकारी देने गांव नहीं आया. 

ग्रामीणों के मुताबिक, उन्हें मतदान की तारीख मालूम नहीं है और ना ही ये जानकारी है कि कहां वोट डालने जाना है.

NDTV की टीम जब पालनार गांव पहुंचा तो इस दौरान ग्रामीणों में मतदान को लेकर कोई उत्सुकता नजर नहीं आई. इतना ही नहीं इन ग्रामीणों को लोकसभा और लोकसभा चुनाव जैसे शब्दों के मायने भी पता नहीं है. वहीं गांव में वोट देने के लिए अभी मतदताओं की संख्या काफी कम है, क्योंकि अधिकतर ग्रामीण मिर्च की खेती में मजदूरी करने के लिए पड़ोसी राज्य तेलंगाना गए हुए हैं.

सरकार से नाराज ग्रामीण

वहीं गांव की समस्याओं को ग्रामीण सरकार से काफी नाराज दिखें. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में हैंडपंप का पानी दूषित है. हमारे पास इसके सिवाय और कोई विकल्प नहीं हैं. मजबूरी में दूषित पानी को पी रहे हैं. बिजली नहीं हैं, कई सोलर प्लेट अब काम नहीं करते. अस्पताल गांव से दूर हैं और राशन के लिए भी लंबा सफर तय करना पड़ता है.  

वैसे तो पालनार गांव माओवादियों के प्रभाव में था, लेकिन कुछ माह पूर्व ही यहां केंद्रीय रिजर्व बल की एक टुकड़ी को तैनात किया गया. कैम्प स्थापित होने के बाद हालात में धीरे-धीरे बदलाव नजर आ रहा है और सुरक्षा के मद्देनजर ही एक दशक बाद यहां मतदान की तैयारी की जा रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब मतदाताओं को तारीख ही नहीं मालूम तो मतदान कौन करेगा?

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पालनार में महिला वोटर्स की संख्या अधिक

2014 में पालनार मतदान केंद्र चेरपाल में शिफ्ट कर दिया गया था.  वहीं 2018 का विधानसभा चुनाव, 2019 का लोकसभा चुनाव और 2023 का विधानसभा चुनाव चेरपाल से ही संपन्न हुआ था. वहीं इस पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की कुल संख्या 611 है, जिसमें 260 पुरूष और 351 महिला वोटर्स है.

क्या कहते हैं अधिकारी

उप जिला निर्वाचन अधिकारी नारायण गवेल ने बताया कि 2013 के बाद पालनार में इस बार मतदान होगा. मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने, जरूरी प्रक्रिया के निष्पादन के लिए सेक्टर प्रभारी तैनात हैं. ग्रामीण अगर अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं तो इस मामले में तत्काल संज्ञान में लिया जाएगा. 

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