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NDTV Exclusive : कभी खुद करते-करवाते थे चुनाव बहिष्कार, अब वोट डालकर क्यों कहा- खूबसूरत है लोकतंत्र

NDTV Special Report:  लोकसभा, विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही मीटिंग लेकर, पर्चे फेंककर वोट नहीं देने, वोट देने वालों के हाथ तो कभी उंगलियां काटने की धमकी देने वाले नक्सली, सरेंडर के बाद इस बार लोकतंत्र के भागीदार बने हैं. इस लोकसभा चुनाव कांकेर लोकसभा सीट के लिए बड़ी संख्या में सरेंडर नक्सलियों ने वोट दिया है. NDTV से हुई बातचीत में कई बातें साझा की हैं. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट...

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NDTV Exclusive : कभी खुद करते-करवाते थे चुनाव बहिष्कार, अब वोट डालकर क्यों कहा- खूबसूरत है लोकतंत्र
इन सभी सरेंडर नक्सलियों ने वोट दिया है. ये सभी जिला मुख्यालय में रहते हैं. लेकिन कभी-कभी इन्हें अपने गांव में जाना होता है. इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर हमने इनकी पहचान छिपाई है. 

Lok Sabha Election 2024 Phase 2 Voting: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग हो रही है. छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाकों में भी लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इन इलाकों में नक्सलियों की धमकी के बीच ग्रामीण उत्साहित होकर पोलिंग बूथों तक पहुंचकर अपना वोट दे रहे हैं. इस चुनाव सरेंडर नक्सलियों (Surrender Naxalites) ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. ये सभी नक्सल संगठन में रहते हुए पहले खुद चुनाव का बहिष्कार करते थे. अब वोट देने के बाद इन सभी ने NDTV से हुई बातचीत में बताया कि सही मायने में लोकतंत्र का महत्व समझा है. 

उत्साहित होकर डाला वोट

नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है. यहां  ग्रामीणों को नक्सली धमकी देते हैं कि वोट देने न जाएं. इस बार भी नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था. इस बीच भी नक्सल इलाके से लोकतंत्र की बेहद खूबसूरत तस्वीरें निकलकर सामने आ रही हैं. पिछले चुनावों में लोगों को वोट नहीं देने की धमकियां देने वाले नक्सली इस बार खुद लोकतंत्र के इस महापर्व में बड़ी भूमिका निभाई है. पोलिंग बूथों तक जाकर अपना वोट दिया है. ये तब हुआ जब वे मुख्यधारा से जुड़ गए. कांकेर लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार को जब वोटिंग शुरू हुई तो सरेंडर नक्सली भी इसके लिए पीछे नहीं हटे.उत्साहित होकर अपने वोट डाले. 

अब सही मायने में लोकतंत्र को समझा

नक्सल संगठन में  कभी सक्रिय रहकर काम करने वाली एक सरेंडर महिला नक्सली ने बताया कि सालों तक नक्सल संगठन में काम किया है. चुनाव आते ही ग्रामीणों को धमकी दिया करते थे कि वे वोट न दें. वोट देने जाने वालों की पिटाई भी करते थे.  लेकिन जब मैं मुख्यधारा में लौटी तो मैंने लोकतंत्र का सही मायने समझा. पहली बार है जब मैंने वोट दिया है. काफी अच्छा लग रहा है. एक अन्य सरेंडर नक्सली ने बताया कि उसके गांव और आसपास के गांवों में कभी वोट ही नहीं होता था. क्योंकि संगठन में रहते वक़्त हम खुद वोट नहीं डालने की धमकी दिया करते थे. सरेंडर के बाद लोकतंत्र की अहमियत पता चली. अब सरकार बनाने के लिए अपने मत का प्रयोग कर काफी अच्छा लग रहा है. इन सरेंडर नक्सलियों ने यह भी बताया कि संगठन में रहते वक़्त ग्रामीणों पर बहुत जुर्म बरपाए. नक्सल विचारधारा खोखली है. सभी को वोट देना चाहिए. 

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ऐसे बनाते हैं ग्रामीणों पर दबाव

जिन इलाकों में नक्सलियों की पैठ है वहां नक्सली चुनाव के लिए ग्रामीणों को कैसे और क्यों परेशान करते हैं यह भी इन सरेंडर नक्सलियों ने बताया. इनका कहना है कि नक्सली जनताना सरकार चलाना चाहते हैं. वे ग्रामीणों को बताते हैं कि सरकारें अच्छी नहीं होती है. उन्हें इस बात का भी भय होता है कि अगर गांव में विकास पहुंचेगा तो लोग सरकार से जुड़ेंगे और उनका राज नहीं चल पाएगा. इस बात की भी धमकी देते हैं कि कोई भी चोरी छिपे वोट देने गया, अमिट स्याही का निशान दिखा तो बुरा अंजाम भुगतना होगा. इसी भय के कारण ग्रामीण वोट देने से घबराते हैं. 

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