Lok Sabha 2024: BJP - छत्तीसगढ़ में राजनीति की धुरी है दुर्ग, BJP-कांग्रेस के 22 में से 6 प्रत्याशी यहीं से

Chhattisgarh News: दुर्ग जिले के प्रत्याशियों में से अधिकांश शहर की राजनीति से जुड़े हुए हैं. अकेले ताम्रध्वज साहू को छोड़ दें तो किसी न किसी रूप में बाक‍ियों का जुड़ाव शहरी राजनीति से रहा है. सरोज पांडेय 10 साल तक दुर्ग की मेयर रह चुकी हैं. देवेंद्र यादव भी भिलाई मेयर बनकर शहरी राजनीति करते रहे हैं.

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Chhattisgarh Loksabha Election 2024: राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते हैं. हालांकि एक समय वे पार्टी छोड़कर क्षेत्रीय दल स्वाभ‍िमान मंच से जुड़ चुके थे.

Lok sabha Election 2024: लोकसभा के चुनावों (Loksabha Chunav) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. सभी राजनीतिक दल (Political Party) तैयारियां करने में जुटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की सरगर्मी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. दोनों प्रमुख दल बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के नेता टिकट बांटने और अपने प्रचार- प्रसार करने में लगे हुए हैं. छत्तीसगढ़ का दुर्ग राजनीतिक रूप से काफी समृद्ध माना जाता है. यहां के लोगों का प्रदेश की राजनीति में अच्छा वर्चस्व भी रहा है. 

दुर्ग का प्रदेश की राजनीति में है बड़ा महत्व

दुर्ग को विधानसभा चुनाव 2023 में राजनीति की धुरी कहा जा रहा था. अब वहां से निकले दिग्गज या उभरते हुए नेता अपनी पार्टी की नई उम्मीद बन गए हैं. दुर्ग लोकसभा सीट के दोनों प्रत्याशी बीजेपी के विजय बघेल और कांग्रेस के राजेंद्र साहू तो जिले से ही ताल्लुक रखते हैं. उनके बाद नाम आता है पूर्व सीएम भूपेश बघेल का. पांच साल प्रदेश का मुख‍िया होने के नाते बढ़ी साख को भूनाने के लिए उन्हें इस बार राजनांदगांव सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है.

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बघेल सरकार में गृह मंत्रालय संभाल चुके ताम्रध्वज साहू महासमुंद लोकसभा सीट से अपनी पार्टी का विजय ध्वज फहराने का दंभ भर रहे हैं. ताम्रध्वज भी दुर्ग जिले से ही आते हैं और दुर्ग ग्रामीण सीट से विधायक चुने जाने से पहले दुर्ग से सांसद भी रह चुके हैं.

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सरोज पांडे कोरबा सीट से हैं प्रत्याशी

बीजेपी से एक बड़ा चेहरा मानी जाने वाली सरोज पांडेय भी दुर्ग जिले से आती हैं. यहां से सांसद रहने के अलावा राज्यसभा बीजेपी की केंद्रीय कमेटी तक में जगह बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुकीं सरोज अब दुर्ग शहर से 264 किलोमीटर दूर कोरबा की लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं.

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बिलासपुर लोकसभा सीट जो साल 1996 से लगभग बीजेपी का गढ़ बन चुका है, जहां से अपवाद स्वरूप दिलीप सिंह जूदेव को छोड़ दें तो मुंगेली जिले से ही सांसद बनते रहे हैं, वहां भी कांग्रेस ने दुर्ग जिले के व्यक्ति पर ही भरोसा जताया है. दूसरी बार विधायक चुने गए देवेंद्र यादव यहां बीजेपी को चुनौती देने के लिए तैयार हैं.

सरोज पांडे को कोरबा से प्रत्याशी बनाया गया है

अधिकांश शहर की राजनीति से रहे हैं जुड़े

दुर्ग जिले के प्रत्याशियों में से अधिकांश शहर की राजनीति से जुड़े हुए हैं. अकेले ताम्रध्वज साहू को छोड़ दें तो किसी न किसी रूप में बाक‍ियों का जुड़ाव शहरी राजनीति से रहा है. सरोज पांडेय 10 साल तक दुर्ग की मेयर रह चुकी हैं. देवेंद्र यादव भी भिलाई मेयर बनकर शहरी राजनीति करते रहे हैं. दुर्ग मेयर का चुनाव राजेंद्र साहू ने भी लड़ा था. पूर्व सीएम भूपेश बघेल और पाटन से उनके प्रतिद्वंद्वी रहे विजय बघेल भी भिलाई में निवास करते हुए शहरी राजनीति में अपनी पैठ बनाते रहे हैं.
इन सभी 3 प्रत्याशियों में से निवास और राजनीति के लिहाज से भिलाई शहर से गहरा नाता रहा है. पाटन सीट से राजनीति करने वाले भूपेश बघेल भिलाई में ही निवास करते हैं, जहां स्थानीय स्तर पर उनकी अच्छी पैठ है. सरोज पांडेय भी यहीं की रहने वाली हैं. देवेंद्र यादव का निवास और राजनीति दोनों भिलाई शहर से ही जुड़े हुए हैं.

ताम्रध्वज साहू पर पार्टी ने महासमुंद से भरोसा किया है

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यहां देखें सभी की प्रोफाइल

भूपेश बघेल- साल 1993 में वो पहली बार पाटन से विधायक चुने गए. भूपेश बघेल एमपी के दौर में ही मंत्री बन चुके थे. वो पांच बार विधायक चुने गए हैं और 2018 में वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.

सरोज पांडेय - सरोज पांडेय ने महापौर रहते हुए ही विधानसभा और फिर दुर्ग सीट से लोकसभा का चुनाव जीता था. वे 10 साल तक दुर्ग से मेयर के रूप में सबसे लंबे कार्यकाल तक रहने का रिकॉर्ड भी कायम किया है. बीजेपी में भी वे महिला संगठन और केंद्रीय कमेटी में अहम जिम्मेदारी निभा चुकी हैं. वर्तमान में वे पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.

ताम्रध्वज साहू - अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में पार्टी संगठन के लिए काम कर चुके ताम्रध्वज साहू प्रदेश की पहली सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वे साल 2003, 2008 और 2018 में दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए. फिर साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के इकलौते कांग्रेसी सांसद बने थे. 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो गृह विभाग की अहम जिम्मेदारी संभाली. अब महासमुंद से पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है.

विजय बघेल - कभी कांग्रेस में रहे और फिर विद्याचरण शुक्ल के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर विधानसभा लड़ने वाले विजय बघेल 2008 में बीजेपी में शामिल हो गए. इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में पाटन से भूपेश बघेल को हराया. अगला चुनाव हारने के बाद साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर दुर्ग सांसद बने.

देवेंद्र यादव - यूथ के बीच मजबूत पकड़ रखने वाले देवेंद्र यादव महज 25 साल की उम्र में भिलाई के मेयर बन चुके थे. इससे पहले एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस में भी वे प्रभावशाली युवा नेता के रूप में अपना दमखम दिखा चुके थे. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्गज बीजेपी नेता व पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय को पटखनी दी थी. 2023 के चुनाव में इसे फिर से दोहराया और अब पार्टी ने उन्हें बिलासपुर से जिम्मेदारी सौंपी है.

राजेंद्र साहू - राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते हैं. हालांकि एक समय वे पार्टी छोड़कर क्षेत्रीय दल स्वाभ‍िमान मंच से जुड़ चुके थे. उसी दल से उन्होंने विधानसभा और दुर्ग मेयर का चुनाव लड़ा था. साल 2017 में वापस कांग्रेस ज्वाइन कर ली. फिर वे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष बनाए गए. अब उन्हें पार्टी ने दुर्ग जैसी अहम सीट से जिम्मेदारी सौंपी है.

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