CG News: नींबू काटकर 'भूत' भगाएंगे BJP सांसद! कितनी घातक है अंधविश्वास की आग? जानिए यहां

Superstition in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में सरकार ने भले ही टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम, 2005 लागू है और इस अधिनियम के तहत टोनही प्रताड़ना से जुड़े अपराधों के लिए सज़ा का प्रावधान है. लेकिन आज के वैज्ञानिक दौर में यहां आए दिन जादू-टोना, अंधविश्वास और भूत-प्रेत बाधा के नाम पर अनहोनी होती रहती है. सत्ताधारी दल के सांसद ने भी अंधविश्वास से जुड़ा बयान देकर इसे हवा देने का काम किया है. लेकिन NDTV की ओर से आप सभी से अपील है कि किसी प्रकार के अंधविश्वास को रोकने का प्रयास कीजिए और जागरुकता का परिचय दीजिए.

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Superstition Case in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास (Andhvishwas) पर विश्वास की चर्चा खूब हो रही है. कुछ दिनों पहले ही (15 सितंबर 2024 को) छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा (Sukma) जिले के एतकल गांव में पुलिस कॉन्स्टेबल मौसम बुच्चा, उनकी पत्नी, बहन, मां और पिता को बड़ी बेरहमी से को मार दिया गया था. आरोपियों का मानना था कि बुच्चा परिवार जादू-टोना (Jadu Tona) करता था. इस घटना के तीन दिन पहले ही यानी 12 सितंबर को बलोदाबाजार-भाटापारा में एक परिवार के 4 लोगों की हत्या हो गई, आरोप वही जादू-टोना. जिले के छरछेद गांव में रामनाथ पाटले के परिवार में बच्चे की तबीयत खराब थी. पाटले परिवार को शक था कि पड़ोसी चैतराम ने जादू-टोना किया है, इसी शक में चैतराम सहित परिवार के 4 सदस्यों की निर्ममता से हत्या कर दी गई, जिसमें 11 महीने का बच्चा भी शामिल था. ये घटनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास, काला जादू, भूत-प्रेत बाधा, टोना जैसी कुप्रथा कितनी हावी हैं. वहीं अब कांकेर के बीजेपी (BJP) सांसद भोजराज नाग के एक बयान के बाद अंधविश्वास को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. देखिए NDTV की खास रिपोर्ट...

पहले जानिए इससे जुड़े कुछ आंकड़े :

ज्ञान और तकनीक के इस युग में छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के कारण हो रही घटनाएं और आंकड़े चिंता बढ़ाते हैं.

Superstition in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

  • छत्तीसगढ़ में जनवरी 2020 से जून 2024 तक अंधविश्वास में हत्या के 54 मामले थाने पहुंचे.
  • एक आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हर वर्ष 200 से अधिक घटनाएं अंधविश्वास में हिंसक रूप लेने की होती हैं.
  • NCRB के मुताबिक वर्ष 2021 में जादू-टोने के सर्वाधिक 20 मामले छत्तीसगढ़ और 18 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए.
  • RTI से मिले आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में वर्ष-2005 से 2017 तक अंधविश्वास से जुड़े लगभग 1350 मामले दर्ज  थे.
  • छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास पर लगाम के लिए टोनही प्रताड़ना अधिनियम-2005 लागू है.

राज्य में अंधविश्वास के कई और मामले सामने आए है

रायपुर से लगे धरसींवा के निनवा गांव में 5 अक्टूबर को 55 वर्षीय अधेड़ भुवनेश्वर यादव ने देव स्थान में अपनी गर्दन काट ली, इलाके में चर्चा है उसने अपनी बलि दी है. इससे पहले मई में बलरामपुर के महुआडीह गांव में 26 साल के कमलेश नगेशिया ने अपने बड़े बेटे की हत्या कर दी. पुलिस जांच में बताया गया कि तंत्र-मंत्र के चक्कर में कमलेश की मानसिक स्थिति बिगड़ चुकी थी. कथित रूप से देवी को खुश करने के लिए उसने अपने बेटे की बलि दी.

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अप्रैल में कोरिया जिले के पटना में 21 साल के सानू पनिका का शव मिला. पुलिस जांच में पता चला कि सानू की बुआ अमरावती व फूफा बजरंग को किसी ने बलि देने कहा था, उन्होंने अपने भतीजे की हत्या बलि के लिए की.

जानकार क्या कहते हैं?

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्रा बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में बहुत सारी घटनाएं हुईं हैं. अंधविश्वास की, कसडोल में चार लोगों की हत्या, सुकमा में 5 लोगों की हत्याएं हुईं, बलि की घटना हुई है, ये घटनाएं लोगों में जागरुकता की कमी की वजह से होती है, स्वास्थ्य रूप से जागरुकता, विज्ञान के प्रति जागरुकता जरुरी है.

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इन आंकड़ों को रोकने की ज़िम्मेदारी सरकार की है, लेकिन सरकार में बैठे ज़िम्मेदार खुद ही नींबू काटकर अपशुकन टालने की बात कह रहे हैं. कांग्रेस इस अंधविश्वास पर मुखर है.

BJP सांसद ने क्या कहा?

कांकेर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद भोजराज नाग ने कहा है कि मैं पहले भी कहा हूं और अब भी कह रहा हूं, जो केन्द्र सरकार की योजनाएं हैं, जो राज्य सरकार की योजनाएं हैं, इन योजनाओं को कुछ लोगों के द्वारा पलिता लगाने का काम कर रहे हैं, जैसे जल जीवन मिशन में लापरवाही बरती जा रही है, ऐसे लोगों को मैं सचेत करना चाह रहा हूं कि यदि वे नहीं माने तो उनके नाम का नींबू काटा जाएगा.

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कांग्रेस का पलटवार

छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि दुर्भाग्यजनक है कोई जनप्रतिनिधि अगर इस तरह का बयान दे. खैर भारतीय जनता पार्टी में ही अंधविश्वास ज्यादा है, यदि देश का प्रधानमंत्री ही कोरोना के समय कोरोना भगाने के लिए थाली और ताली बजवाए, तो उसके सिपहसलार तो ऐसा करेंगे ही, लेकिन इसी अंधविश्वास के कारण ही बलौदाबाजार में हत्या हुई, अन्य घटनाएं हो रही हैं.

छत्तीसगढ़ में अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए काम करने वाले भी मानते हैं कि जन प्रतिनिधियों को अंधविश्वास फैलाने वाले बयान से बचना चाहिए.

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष दिनेश मिश्रा ने कहा कि जो जनप्रतिनिधि होते हैं, उनकी एक मॉरल ड्यूटी है कि वो इस तरह की बातें न करें, उन्हें तो बल्कि यह कहना चाहिए कि ऐसी कोई जादू-टोने की बात नहीं होती, भूत प्रेत की बात नहीं होती है. क्योंकि अगर भूत प्रेत होते तो वही बदला ले लेते, डॉक्टर की जरूरत नहीं है, वही इलाज कर लेते.

नींबू काटकर विकासकार्य में तेजी लाने के बीजेपी सांसद का बयान सियासी गलियारों में चर्चाओं के साथ कई सवाल भी उठा रहा है, सवाल है कि क्या डबल इंजन की बीजेपी सरकार में विकास कार्य में लापरवाही हो रही है? लापरवाही हो रही तो ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी, अंधविश्वास में हो रही निर्मम हत्याओं को रोकने कोई ठोस कदम उठाए जाऐंगे? सवाल यह भी है कि क्या अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले बयानों पर लगाम लगाने बीजेपी अपने नेताओं के लिए कोई दिशानिर्देश देगी?

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