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This Article is From Feb 27, 2024

Kanker Encounter: नक्सली नहीं थे ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग : परिजनों का दावा

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रविवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोगों के परिजनों ने दावा किया कि वे नक्सली नहीं थे और मुठभेड़ "फर्जी" थी. हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है.

Kanker Encounter: नक्सली नहीं थे ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग : परिजनों का दावा
Kanker Encounter: नक्सली नहीं थे ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोग : परिजनों का दावा
कांकेर:

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रविवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीनों लोगों के परिजनों ने दावा किया कि वे नक्सली नहीं थे और मुठभेड़ "फर्जी" थी. हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है. पुलिस ने दावा किया था कि रविवार सुबह नक्सल विरोधी अभियान के दौरान कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के भोमरा-हुरतराई गांवों के बीच एक पहाड़ी पर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे. पुलिस ने कहा था कि मारे गए तीन माओवादियों की अभी पहचान नहीं हो पाई है.

मुठभेड़ में मारे गए लोग कौन थे ?

ग्रामीण और मृतक के परिजन सोमवार को कोयलीबेड़ा थाना पहुंचे और पुलिस पर "फर्जी" मुठभेड़ करने का आरोप लगाया.  उन्होंने तीनों की पहचान मरदा गांव के निवासी रामेश्वर नेगी, सुरेश टेटा और क्षेत्र के पैरवी गांव के अनिल कुमार हिडको के रूप में की. बदरगी ग्राम पंचायत के सरपंच मनोहर गावड़े ने संवाददाताओं से कहा कि आदिवासी लकड़ियों, पत्तियों और वन उपज के लिए जंगल पर निर्भर हैं. मरदा गांव बदरगी ग्राम पंचायत के अंतर्गत ही आता है. उन्होंने कहा,

❝तेंदू पत्ता संग्रहण का मौसम शुरू होने वाला है और इसी वजह से तीनों पेड़ों की छाल और तने और रस्सियां लेने के लिए जंगल में गए थे... वे दो दिनों के लिए गए थे इसलिए अपने साथ खाना पकाने के खातिर चावल और बर्तन भी ले जा रहे थे.❞

"जंगल में रस्सी लेने गए थे वो..."

गावड़े ने दावा किया कि वे नक्सली नहीं थे और उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया. हिडको की पत्नी सुरजा ने यह भी दावा किया कि उनके पति जंगल में रस्सी लेने गये थे और अपने साथ टॉर्च और कुल्हाड़ी भी ले गए थे. उन्होंने कहा, ❝ हम किसान हैं और केवल खेती और घर पर काम करते हैं. ❞ इसी तरह के दावे को दोहराते हुए टेटा की पत्नी ने कहा कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ की थी और उनका पति नक्सली नहीं था. संपर्क करने पर कांकेर के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि अगर परिवार के सदस्यों को कुछ गलत होने का संदेह है तो वे मजिस्ट्रेट जांच (मुठभेड़ के बाद की जाने वाली जांच) के दौरान अपने दावे प्रस्तुत कर सकते हैं.

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आरोपों पर क्या बोली पुलिस ? 

SP ने कहा, ❝ पुलिस ने कुछ भी गलत नहीं किया है. मुठभेड़ हुई थी और इसमें नक्सली नेता राजू सलाम और उसकी कंपनी शामिल थी. हर मुठभेड़ के बाद स्थानीय ग्रामीणों और मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा नक्सलियों के दबाव में ऐसे दावे किए जाते हैं.'पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा. पुलिस मारे गए तीनों नक्सलियों के रिकॉर्ड और पिछली घटनाओं में उनकी संलिप्तता का पता लगा रही है.❞

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