लंबे समय से राजद्रोह, ब्लैकमेलिंग और आय से अधिक संपत्ति जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को बुधवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, हाईकोर्ट ने सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों की एफआईआर को रद्द कर दिया है. इस मामले में कोर्ट का यह निर्णय चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने सुनाया.
जीपी सिंह ने दी थी राजनीतिक षड्यंत्र की दलील
जीपी सिंह का कहना है कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत झूठे मामलों में फंसाया, जबकि उनके खिलाफ किसी भी आरोप का ठोस साक्ष्य नहीं है. कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकारते हुए यह माना कि उन्हें परेशान करने के उद्देश्य से उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए थे. सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को खारिज कर दिया.
एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई और संपत्ति का खुलासा
एक जुलाई 2021 की सुबह, एसीबी (ACB) और ईओडब्ल्यू (EOW) की टीमों ने जीपी सिंह और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर व्यापक छापेमारी की थी. इस कार्रवाई के दौरान करीब 10 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था. छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद होने का दावा किया गया था, जिसके आधार पर रायपुर पुलिस ने सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था.
ब्लैकमेलिंग और धमकाने का भी था आरोप
इसके अलावा, 2015 में दुर्ग निवासी कमल सेन और बिल्डर सिंघानिया के बीच हुए विवाद के मामले में जीपी सिंह पर 20 लाख रुपये की वसूली का भी आरोप लगाया गया था. इस घटना में भी उनके खिलाफ धमकाने का मामला दर्ज हुआ था. बाद में जीपी सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी.
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कोर्ट का निर्णय पर वकील का बयान
इस मामले पर जीपी सिंह के अधिवक्ता हिमांशु पाण्डेय ने कहा कि यह न्याय का एक उदाहरण है, जहां झूठे आरोपों से एक निर्दोष व्यक्ति को मुक्त किया गया है.
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