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International Women's Day: 60 की उम्र में की शुरुआत, 66 की उम्र में चैंपियन बन गई कमला देवी... जानें इनकी प्रेरणादायक कहानी

Women's Day Special: मनेन्द्रगढ़ की रहने वाली कमला देवी किसी भी महिला क्या, बल्कि पुरुषों के लिए भी प्रेरणा की मिसाल है. 60 साल की उम्र में उन्होंने कड़ी मेहनत की शुरुआत की और 66 साल की उम्र में चैंपियन बन गई. कमला देवी ने इस उम्र में भी अपने विश्वास और संकल्प के बल पर 90 मेडल अपने नाम किए हैं. आइए आपको इनकी प्रेरणादायक कहानी बताते हैं.

International Women's Day: 60 की उम्र में की शुरुआत, 66 की उम्र में चैंपियन बन गई कमला देवी... जानें इनकी प्रेरणादायक कहानी
Women's Day 2025: कमला देवी की सफलता की कहानी

International Women's Day Story: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐसी महिलाओं की कहानी उजागर करना बहुत जरूरी है, जो अपने परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई हों. ऐसी ही एक प्रेरणादायक महिला हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मनेन्द्रगढ़ (Manendragarh) जिला की रहने वाली कमला देवी. खेलने की कोई उम्र नहीं होती, यह साबित कर दिखाया है मनेन्द्रगढ़ की पावरलिफ्टिंग खिलाड़ी कमला देवी (Kamla Devi) ने... 60 साल की उम्र में खेल की दुनिया में कदम रखने वाली कमला देवी आज 66 साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 80 से 90 मेडल जीत चुकी हैं. उनका ये सफर आसान नहीं रहा हैं. अपनी सफलता की कहानी के बारे में बताते हुए कमला अपने चुनौती के दिनों के बारे में बताती हैं.

समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही कमला देवी

समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही कमला देवी

40 की उम्र के बाद हो गई थी बीपी और शुगर

कमला देवी बताती हैं कि 48 साल की उम्र से उन्हें बीपी और शुगर की समस्या थी, जिससे उनकी तबीयत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई. घुटना जाम हो गया था और चलना भी मुश्किल हो गया था. लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. आज से करीब 10 साल पहले, यानी 55 साल की उम्र के पास उन्होंने वॉकिंग और जिम जाना शुरू किया. धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार होने लगा और पिछले 5-6 साल से वे नियमित रूप से जिम में अभ्यास कर रही हैं. 

मनेन्द्रगढ़ में ली पावरलिफ्टिंग की ट्रेनिंग

कमला देवी ने मनेन्द्रगढ़ के फिजिक जिम में अमित टोप्पो के मार्गदर्शन में पावरलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू की. यहीं से उन्होंने अपना पहला और दूसरा मुकाबला खेला. इसके बाद मनेन्द्रगढ़ में तीन और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और वे कोलकाता, गुवाहाटी, कश्मीर जैसे बड़े मंचों पर खेलने लगीं. इतना ही नहीं, उन्होंने तीन बार नेपाल (पोखरा) में भी देश का प्रतिनिधित्व किया. 

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खेल के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं-कमला देवी

कमला देवी का मानना है कि खेल के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं होती. अगर व्यक्ति में मेहनत करने का जज्बा हो, तो किसी भी उम्र में नई शुरुआत की जा सकती है. 60 की उम्र में उन्होंने खुद को साबित किया और अब 66 की उम्र में भी पूरे जोश के साथ मैदान में उतरती हैं. उनकी यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो उम्र को बाधा मानकर अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं. कमला देवी ने दिखा दिया कि अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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