Holi Festival 2025: 25 सालों से यहां नहीं जली होलिका, मंजर यादकर आज भी दहशत में आ जाते हैं लोग!

Holika Dahan Become Curse: पिछले 25 सालों में दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक के गांव गोंड़पेंड्री में होली के त्योहार पर अजीब सा सन्नाटा पसर जाता है. यहां होली की तैयारी की नहीं, बल्कि लोग होली के समापन की बाट जोहते हैं. यहां होलिका की अग्नि नहीं जलती है और लोग रंग और गुलाल से भी दूरी बना कर रखते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Silence in Gondpandri village of Durg District in Holi festival

Holika Dahan: एक ओर जब पूरा देश 13 मार्च को होलिका दहन के बाद होली के रंगों में सराबोर होने की तैयारी में जुटा है, लेकिन छ्त्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक गांव में होलिका दहन और होली को लेकर मातम का माहौल है, जहां फाग के गीत नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में हूक उठ रहे हैं. लोग 25 साल पहले हुए रक्तरंजित संघर्ष को याद कर आज भी सिहर जाते हैं,

पिछले 25 सालों में दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक के गांव गोंड़पेंड्री में होली के त्योहार पर अजीब सा सन्नाटा पसर जाता है. यहां होली की तैयारी की नहीं, बल्कि लोग होली के समापन की बाट जोहते हैं. यहां होलिका की अग्नि नहीं जलती है और लोग रंग और गुलाल से भी दूरी बना कर रखते हैं.

Mother Killed Son: घर में पड़ी थी बेटे की लाश, बैडमिंटन खेलने क्लब चली गई हत्यारोपी मां, जानें पूरा मामला?

खूनी संघर्ष में बदल गया था होलिका दहन अनुष्ठान

दरअसल, 25 साल पहले गोंडपेड़ी गांव में होलिका दहन के दिन एक ऐसा खूनी संघर्ष हुआ था, जिसकी दहशत आज भी गांव वालों के दिलों को झकझोर जाती है. यहां 25 साल पूर्व होलिका दहन के समय पांरपरिक अनुष्ठान दौरान उपजे विवाद देखते-देखते खूनी संघर्ष में बदल गया था, जिसके बाद से गांव न होलिका जली और न होली मनाई गई.

 होली के त्योहार में रंगों की जगह बहे खून

रिपोर्ट के मुताबिक करीब 25 साल पहले होलिका दहन के दिन हुए मामूली विवाद के बाद हुए खूनी संघर्ष को याद कर गांव के बुजुर्ग आज भी सहम जाते हैं. गांव के तालाब के पास होलिका दहन के समय पुरानी परंपरा निभाई जा रही थी, जिसमें होलिका डालने वाले की गाली दी जाती है, लेकिन होलिका डालने वाली की आपत्ति से माहौल को बेकाबू हो गया.

Holi Special: महिला के वेश में पुरुष यहां करते है नृत्य, बैतूल में सप्ताह भर पहले शुरू हो जाता है यदुवंश समाज का फाग

होलिका दहन के समय गाली-गलौज की परंपरा पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. मामूली कहासुनी के बाद बात हाथापाई तक पहुंच गई और देखते ही पूरा गांव दो गुटों में बंट गया. लोग घरों में रखा लाठी-डंडा, ऑयरन रॉड और धारदार हथियार लेकर एकदूसरे पर टूट पड़े. 

 50 से 70 ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले

बड़ी बात यह थी कि होलिका दहन के दौरान हुए उपद्रव के समय पाटन थाना के पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन वह हिंसक भीड़ के सामने बेबस नजर आए. युद्ध के मैदान में तब्दील हुए गांव में घंटों चले खूनी संघर्ष में 2 दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए और पुलिस ने 50 से 70 ग्रामीणों के खिलाफ मामले दर्ज किए.

Advertisement

ठेले वाले से युवक ने पूछा तरबूज का भाव, बगैर खरीदे जाने लगा तो दुकानदार ने चाकू से कर दिया हमला

गांव के बुजुर्ग कहते हैं, वो दिन याद भी नहीं करना चाहते, जो हुआ, बहुत बुरा हुआ था. अगर हम ज्यादा बात करेंगे, तो कहीं फिर से माहौल न बिगड़ जाए. हालांकि गांव के युवा कहते हैं कि बचपन से लोगों को होली मनाते नहीं देखा. इसलिए वो होलिका दहन के लिए दूसरे गांव जाते हैं.

23 साल तक कोर्ट में चला खूनी संघर्ष का केस 

पोड़गेड़ी गांव में होलिका दहन के दिन हुए खूनी संघर्ष का केस कोर्ट में कुल 23 साल तक चला, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकाल, अंततः आपसी सहमति से दोनों गुटों के बीच समझौता तो हो गया, लेकिन तब से अब तक गांव में न होलिका दहन किया गया और न ही होली मनाई जाती है. हालांकि युवा चाहते हैं कि गोंड़पेंड्री गांव फिर से होली के रंगों में सराबोर हो.

ये भी पढ़ें-रीवा से पहली बार सीधी पहुंची ट्रेन, 40 वर्ष बाद साकार हुआ सपना, जल्द जिला मुख्यालय पहुंचने की जगी उम्मीद

Advertisement