छत्तीसगढ़ में बनेगा तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व, गुरुघासीदास-तमोर पिंगला के जंगलों में बेखौफ घूमेंगे बाघ

सालों के इंतज़ार के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के गठन का फैसला ले लिया है. यह फैसला छत्तीसगढ़ सरकार की कैबिनेट की बैठक में लिया गया. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 2014 में ही इसकी अनुमति दे दी थी बावजूद इसके राज्य सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया था.

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Chhattisgarh News: सालों के इंतज़ार के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व (Gurughasidas-Tamor Pingla Tiger Reserve) के गठन का फैसला ले लिया है. यह फैसला छत्तीसगढ़ सरकार की कैबिनेट की बैठक में लिया गया. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) ने 2014 में ही इसकी अनुमति दे दी थी बावजूद इसके राज्य सरकार ने इसे टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया था. जिसके खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.  कुछ दिनों पहले  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने के नोटिफिकेशन को लेकर 4 सप्ताह में जवाब मांगा था. समझा जा रहा है कि इसी के मद्देनजर सरकार ने मौजूदा फैसला लिया है. अहम ये है कि गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा तो 2800 स्कॉवयर किलोमीटर में फैला होगा. इसके तैयार होते ही देश में ऐसे टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़कर 54 हो जाएगी. 


इसके अलावा रिजर्व बनने से कोर और बफर इलाके में ग्रामीणों के लिए भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, "छत्तीसगढ़ में हमने  वन्यजीवों विशेषकर बाघों के संरक्षण तथा उनके रहवास को सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने के घासीदास टाइगर रिजर्व के निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और आज छत्तीसगढ़ सरकार की घोषणा का स्वागत करते हैं. हमारी जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 15 जुलाई को सरकार को 4 हफ्ते में निर्णय लेकर सूचित करने को कहा था.बता दें कि इससे पहले 2021 में गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन विरोध के चलते यह संभव नहीं हो पाया था. तब रिजर्व एरिया में कोल ब्लॉक, आइल ब्लॉक और मिथेन गैस ब्लॉक होने के कारण मामला अटक गया था. पर अब गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का रास्ता साफ हो गया है. 

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