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This Article is From Jul 29, 2023

गेमचेंजर दलित वोटर...! मध्य प्रदेश में दलित-आदिवासियों को लुभाने में जुटा सत्‍ता पक्ष और विपक्ष

मध्यप्रदेश में 16 प्रतिशत दलित वोटर हैं और इन्हें गेमचेंजर माना जाता है. यही वजह है कि दोनों दलों के नेता बुंदलेखंड का रुख कर रहे हैं, जहां दलित आबादी लगभग 20-25 फीसद है.

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गेमचेंजर दलित वोटर...! मध्य प्रदेश में दलित-आदिवासियों को लुभाने में जुटा सत्‍ता पक्ष और विपक्ष
विधानसभा की 84 सीटों पर 80 लाख दलित वोटर हार-जीत तय करते हैं
भोपाल:

मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार के कई मामले हाल ही में सुर्खियों में आए. शिवराज सरकार इन घटनाओं से परेशान हैं. चुनाव चंद महीने दूर हैं, लेकिन बीजेपी की मुश्किलें इन घटनाओं से बढ़ गई हैं. ज्यादातर मामले विंध्य और बुंदेलखंड से सामने आ रहे हैं. चुनाव की तारीख का का ऐलान तो नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी और प्रमुख विपक्षी कांग्रेस, दलित वोटरों को साधने के जुगत में लग गये हैं. बीजेपी समरसता यात्रा निकाल रही है, जो 12 अगस्त को सागर में खत्म होगी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस दिन सागर में संत रविदास को समर्पित मंदिर की नींव रखेंगे. अगले दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सागर आएंगे.

कहीं मुंह काला किया गया, तो कहीं बेहरमी से पिटाई 
इस साल 30 जून को शिवपुरी के नरवर में दो दलित युवकों का मुंह काला किया गया, जूते-चप्पलों की माला पहनाई. आरोप लगा कि उनके मुंह में मल भी भरा गया.  जुलाई में ही साल भर पहले सागर में एक दलित युवक के कपड़े उतारकर उसकी बेहरमी से पिटाई का वीडियो वायरल हुआ. 24 जुलाई को देवास में आदिम जाति कल्याण विभाग के दफ्तर में घुसकर उप सरपंच ने की एक दलित कर्मचारी के साथ मारपीट की, जातिसूचक गालियां दीं ऐसे आरोप लगे. 21 जुलाई को छतरपुर जिले में एक शख्स ने आरोप लगाया था कि रामकृपाल पटेल नाम के आरोपी पर गलती से ग्रीस लगने की वजह से पटेल ने कथित तौर पर उसके पूरे शरीर और मुंह पर मल लगा दिया और उसे जातिसूचक गालियां दी.

मामले सुर्खियों में आये, विपक्ष भी सरकार पर हमलावर
मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने मामलों को लेकर शिवराज सरकार पर निशाना साधा. उन्‍होंने कहा कि आज महिलाओं पर अत्याचार पर नंबर वन, आदिवासियों के अत्याचार पर नंबर वन, बेरोजगारी में नंबर वन ये शिवराज जी ने यहां पहुंचा दिया, जहां नहीं होना था, वहां नंबर वन पहुंचा दिया. सरकार कार्रवाई की ढाल में सियासी हमलों से बच रही है, तो दूसरी तरफ सियासी यात्रा से आरोपों की आंच को कम करने की जुगत है.

PM करेंगे संत रविदास मंदिर का शिलान्यास
संत-कवि रविदासजी के मंदिर निर्माण के लिये मध्यप्रदेश में 5 जगहों से समरसता यात्रा शुरू हुई है. 18 दिन, 46 जिलों में 55000 गांवों, से मुठ्ठी भर मिट्टी-अन्न और 313 ब्लॉक की प्रमुख नदियों का जल सांकेतिक तौर पर लेकर यात्रा से लोग सागर पहुंचेंगे. ये सभी यात्राएं 12 अगस्त को सागर के बड़तूमा में समाप्त होंगी. जहां पीएम 100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले संत रविदास मंदिर का शिलान्यास करेंगे. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "उन्होंने ना केवल भक्ति का, बल्कि सेवा का नया इतिहास रचा, "मन चंगा, तो कठौती में गंगा", "प्रभुजी तुम चंदन हम पानी" ये संदेश अपने आप में समरसता का अद्भुत संदेश था. इसलिये सरकार संत रविदास जी का भव्य मंदिर सागर में बनाने जा रही है. मैंने घोषणा की थी, जो अब साकार होने जा रही है. बताया जा रहा है कि एक दिन बाद 13 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे उसी सागर जिले में एक मेगा रैली को संबोधित कर सकते हैं.

गेमचेंजर दलित वोटर...!

  • मध्यप्रदेश में 16 प्रतिशत दलित वोटर हैं और इन्हें गेमचेंजर माना जाता है. यही वजह है कि दोनों दलों के नेता बुंदलेखंड का रुख कर रहे हैं, जहां दलित आबादी लगभग 20-25 फीसद है.
  • विधानसभा की 84 सीटों पर 80 लाख दलित वोटर हार-जीत तय करते हैं. मध्यप्रदेश में 35 सीटें एससी वर्ग के लिये आरक्षित हैं. 
  • 2013 के चुनावों में, जब बीजेपी ने 230 में 165 सीटें जीती थीं, तो उसे 35 सीटों में से 28 सीटें मिली थीं यानी कुल 80 प्रतिशत, जबकि कांग्रेस सिर्फ चार सीटें जीत सकी थी, उसके बाद बसपा 3 सीटों के साथ थी.
  • बसपा का 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में 69 सीट पर मत प्रतिशत औसतन 10% से अधिक रहा.
  • पांच साल बाद 2018 के चुनावों में, 35 एससी आरक्षित सीटों पर बीजेपी की संख्या घटकर सिर्फ 18 रह गई, जबकि कांग्रेस की गिनती चार गुना से अधिक बढ़कर 17 सीटों पर पहुंच गई.
  • दलित अत्‍याचार के मामले में ये राज्‍य शीर्ष पर...
    दलित वोटरों को लुभाने की कोशिश एक बात है, लेकिन मध्यप्रदेश में दलितों के साथ खूब अत्याचार भी होता है. दलित अत्याचार के मामले में 25.82% प्रतिशत मामलों के साथ यूपी पहले नंबर पर, 14.7% मामलों के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर, जबकि 14.1% मामलों के साथ मध्य्प्रदेश तीसरे नंबर पर है. हालांकि, सूबे के गृहमंत्री कहते हैं उन्हें आंकड़ों पर भरोसा नहीं. राज्‍य के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र कहते हैं, "सीधी जैसी घटना पर दुख होता है, लेकिन आंकड़ों पर विश्वास नहीं होता है. छिटपुट घटनाओं से आंकड़े बन जाते हैं. जब हमको विरासत में ये सियासत मिली थी, तब बुंदेलखंड,चंबल से विंध्य तक कहीं ठोकिया का राज था, कहीं ददुआ का राज था. कहीं जगजीवन का राज था, तो कहीं निर्भय का राज था. आज एक भी नहीं है. पिछले 18 साल में 1 भी पैदा नहीं होने दिया. 

    साल 2018 के चुनावों में एससी-एसटी एक्ट पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दलित मतदाताओं को नाराज कर दिया था. हिंसा फैली तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्र में खासा नुकसान हुआ. ऐसे में सरकार को लगता है कि आंकड़ों और मामलों की आंच पर संत रविदास के लिए एक भव्य मंदिर से दलित मतदाता का झुकाव बीजेपी की तरफ होगा.

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