
Teacher Dr. Pragya Singh received National Teacher Award: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और समग्र विकास के लिए राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. यह अवार्ड उन्हें नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा. डॉ. प्रज्ञा सिंह का शिक्षा के प्रति समर्पण, उनके रचनात्मक दृष्टिकोण और छात्रों के प्रति गहरी देखभाल ने उन्हें एक प्रेरणा बना दिया है.
हनोदा माध्यमिक स्कूल बन चुका नवाचार का प्रतीक
हनोदा माध्यमिक स्कूल अब केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक नवाचार का प्रतीक बन चुका है. डॉ. प्रज्ञा सिंह ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से इस स्कूल को एक नई पहचान दी है. यहां पर सिर्फ़ पढ़ाई नहीं, बल्कि कलात्मकता, खेल और मनोरंजन का संगम भी देखने को मिलता है. डॉ. सिंह का मानना है कि शिक्षा को केवल किताबों तक सीमित न रखते हुए, बच्चों को अपनी रचनात्मकता के साथ साथ खेल, विज्ञान, कला और मानसिक विकास के विभिन्न पहलुओं से भी जोड़ा जाए.

स्कूल में बच्चों के लिए रचनात्मक प्रयोग
इस स्कूल में बच्चों के लिए रचनात्मक प्रयोग और सिखने का आनंद एक नया अनुभव बन चुका है. उनके द्वारा लागू की गई नयी शिक्षण विधियों ने यह साबित कर दिया कि पढ़ाई को जीवन का एक आनंदित हिस्सा बनाया जा सकता है.
डॉ. प्रज्ञा सिंह ने चार विषयों में स्नातकोत्तर (PG) की डिग्री प्राप्त की है और एक विषय में Ph.D भी की है. इतने उच्च शिक्षित होने के बावजूद, उन्होंने हमेशा शिक्षा को सिर्फ़ एक नौकरी के रूप में नहीं देखा, बल्कि यह उनका जीवन का उद्देश्य है। पिछले कई वर्षों से डॉ. सिंह हनोदा माध्यमिक स्कूल में बच्चों को न केवल शिक्षा प्रदान कर रही हैं, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं.

स्कूल में लैब से गणित पार्क तक निर्माण
स्कूल में संसाधनों की कमी के बावजूद, डॉ. प्रज्ञा सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत और खुद 8 लाख रुपये खर्च कर स्कूल में सुविधाओं का निर्माण किया. उन्होंने स्कूल के खाली पड़े तीन कमरों को नई लैब, लाइब्रेरी, उल्लास केंद्र और गणित पार्क के रूप में तैयार किया. इन प्रयासों से स्कूल का माहौल बच्चों के लिए और भी प्रेरणादायक हो गया है.
शिक्षिका ने स्कूल में गणित पार्क की स्थापना की, जहां बच्चों को गणित और संख्याओं के गुण, जोड़, घटाव और अन्य जटिल न्यूमेरिक को एक रोचक और साधारण तरीके से समझाया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने स्कूल में एक उल्लास केंद्र भी स्थापित किया, जो बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखने के लिए खेल और मनोरंजन के कार्यक्रमों से भरा हुआ है.

प्रज्ञा सिंह ने बच्चों को सीखाने के लिए अपनाया अनूठा तरीका
वहीं डॉ. प्रज्ञा सिंह ने लूडो, सांप-सीढ़ी, और छत्तीसगढ़ी परंपराओं को जोड़ते हुए बच्चों को सीखाने का अनूठा तरीका अपनाया. उनका मानना है कि खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का मानसिक विकास बेहतर तरीके से हो सकता है. वह केवल बच्चों तक ही सीमित नहीं रहीं, बल्कि गांव के बुजुर्गों को भी साक्षरता के लिए प्रेरित कर रही है हैं.
प्रज्ञा सिंह बच्चों के जीवन में ला रहीं सकारात्मक बदलाव
प्रज्ञा सिंह की मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण, स्कूल के कई बच्चों का चयन उच्च शिक्षा के लिए हो चुका है. ये बच्चे अब अपनी शिक्षिका के मार्गदर्शन में बेहतर भविष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं. डॉ. सिंह की शिक्षण विधियां बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं और वो हर बच्चे के अंदर छुपे हुए सपने और संभावनाओं को उजागर करने में मदद कर रही हैं. उनका मानना है कि एक शिक्षिका का कर्तव्य बच्चों के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास में भी मदद करना है. उन्होंने बच्चों को समाज के जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया है, जिसमें वे न केवल पढ़ाई करते हैं, बल्कि अपनी कला, खेल और विज्ञान के माध्यम से खुद को भी व्यक्त कर सकते हैं.