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This Article is From Oct 10, 2023

ग्रामीणों की जान बचाने टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बनवाया एलिफेंट एप, 12 वन मंडल में हो रहा इस्तेमाल

आम लोगों पर हाथियों के बढ़ते हमलों से आहत होकर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन ने एलीफेंट एप बनवाया. इस एप की मदद से अब तक 9 लाख से भी ज्यादा लोगों को हाथियों के मूवमेंट के बारे में अलर्ट भेजा जा चुका है.

ग्रामीणों की जान बचाने टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक ने बनवाया एलिफेंट एप, 12 वन मंडल में हो रहा इस्तेमाल
2017 बैच के अफसर वरुण जैन के द्वारा बनवाए गए इस एलीफेंट एप का इस्तेमाल गरियाबंद जिले के साथ 12 वन मंडल क्षेत्रों में हो रहा है.

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला पिछले कई वर्षों से हाथियों के आतंक से पीड़ित रहा है. जिले भर में हाथियों के आक्रमण से आमजन की मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी (Increasing elephant attacks on common people) देखी जा रही है. इसके अलावा यहां गांव में किसानों की फसल और मकानों को भी हाथियों द्वारा काफी नुकसान पहुंचाया जाता है. इस समस्याओं से आहत होकर उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (Udanti Sitanadi Tiger Reserve) के उपनिदेशक वरुण जैन ने स्टार्टअप कंपनी कल्पवेग टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर एक एलीफेंट एप बनाया. इसके लिए उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मदद से एप को क्लाउड सर्वर पर प्रोग्राम किया.

इस एप के माध्यम से जंगल के आस-पास के लोगों को हाथियों के मूवमेंट का अलर्ट भेजा जाता है. जिससे गांव वाले हाथियों के आने-जाने के समय से अवगत होते हैं. 2017 बैच के अफसर वरुण जैन के द्वारा बनवाए गए इस एलीफेंट एप का इस्तेमाल गरियाबंद जिले में तो हो ही रहा है, इसके साथ राज्य के अन्य प्रभावित वन मंडल में भी वन विभाग इस एप का प्रयोग कर रहा है.

कैसे काम करता है एलीफेंट एप?

एलीफेंट एप से अलर्ट पाने के लिए मोबाइल नंबर से रजिस्टर कराना होता है. यह एप 5 मिनट के भीतर 10 किमी के एरिया में मौजूद हाथी दल साथ पंजीकृत सभी मोबाइल नंबरों पर ऑटोमैटिक मेसेज व कॉल के जरिए अलर्ट भेजता है. जिस भी क्षेत्र में हाथी या हाथियों का दल घूम रहा होता है, उसके आसपास के 10 किमी के एरिया में स्थित ग्रामीण हाथी दल के साथ चौकन्ने हो जाते हैं और उन्हें अपने क्षेत्र से दूर करने का प्रयास करते हैं.

एलीफेंट ऐप के माध्यम से हाथियों के लोकेशन को ट्रैक किया जाता है और उसका अलर्ट ग्रामीणों को भेजा जाता है.

एलीफेंट एप के माध्यम से हाथियों के लोकेशन को ट्रैक किया जाता है और उसका अलर्ट ग्रामीणों को भेजा जाता है.

अप्रैल में हाथी की वजह से हुई थी 3 लोगों की हत्या

अप्रैल में हाथी दल आने की सूचना मिलने पर उनको ट्रैक किया गया था. जिसके बाद उनके मूवमेंट को देखते हुए उनकी लोकेशन हाथी मित्र दल के द्वारा शेयर की गई थी. उस झुंड से एक हाथी बिछड़ कर अपोजिट लोकेशन में चला गया था, जिसके बाद उस गांव में मुनादी नहीं हो पाई थी. जिसके चलते वहां हाथी ने एक ही दिन में तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के बाद उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन काफी आहत हुए थे. जिसके बाद उन्होंने एक स्टार्टअप कंपनी कल्पवेग टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए एक एप्लीकेशन बनवाया.

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अब तक 9 लाख लोगों को भेजा जा चुका है अलर्ट

बताया जाता है कि जब कोई हाथी अपने दल से अलग हो जाता है, तब वह आसपास के गांव में किसानों की फसल और मकानों को काफी नुकसान पहुंचाता है. उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व से मिले आंकड़ों की बात करें तो पिछले 2 साल में हाथियों ने 6 लोगों की जान ली है. उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि अप्रैल से हम इस एप का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस एप के इस्तेमाल के बाद से लेकर अब तक जिले में हाथियों के द्वारा जनहानि की किसी तरह की कोई घटना सामने नहीं आई है. एप के माध्यम से अब तक 9 लाख से ज्यादा कॉल व मैसेज भेजकर लोगों को अलर्ट किया जा चुका है.

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