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गिरफ्तार हुए डिप्टी कमिश्नर आनंदजी और रिटायर्ड सहायक आयुक्त , बाबू फरार, फर्जी टैंडर मामले में दर्ज हुई है FIR

Fake Tender Case In Dantewada: फर्जी टैंडर केस के मामले में आखिरकार दंतेवाड़ा के सहायक आयुक्त रहे डॉ. आनंदजी सिंह और केएस मसराम की गिरफ्तारी हो गई है. इसके बाद हड़कंप मच गया है. 

गिरफ्तार हुए डिप्टी कमिश्नर आनंदजी और रिटायर्ड सहायक आयुक्त , बाबू फरार, फर्जी टैंडर मामले में दर्ज हुई है FIR
दोनों अफसर केएस मसराम और डॉ. आनंनदजी सिंह गिरफ्तार हो चुके हैं. क्लर्क फरार है.

Deputy Commissioner Anandji Singh Arrest: छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर है. फर्जी टैंडर के मामले में दंतेवाड़ा के दोनों पूर्व सहायक आयुक्तों की गिरफ्तारी हो गई है. जबकि बाबू फरार है. दंतेवाड़ा में सहायक आयुक्त रहे डिप्टी कमिश्नर डॉ. आनंदजी सिंह की गिरफ्तारी जगदलपुर और रिटायर्ड हो चुके सहायक आयुक्त केएस मसराम की रायपुर से हुई है. विभाग का बाबू फरार है. जिसे पुलिस जल्द ही पकड़ेगी. इन सभी पर एफआईआर भी दर्ज हो गई है.  इस खबर के बाद दंतेवाड़ा के अन्य विभागों में भी हड़कंप मच गया है. 

45 फर्जी टैंडर निकाले गए 

दरअसल दंतेवाड़ा के आदिवासी विकास विभाग जनजाति विकास विभाग में  भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. इसकी शिकायत के बाद दंतेवाड़ा के कलेक्टर कुणाल दुदावत ने जांच  करवाई तो वर्ष 2021 से लेकर अब तक 45 टैंडर की  फर्जी और गोपनीय तरीके से अधिकारियों ने ठेकेदार से सांठगांठ कर लगाए थे . जांच में दोषी दो सहायक आयुक्त और एक कलर्क घेरे में आए है. 

इसके बाद वर्तमान आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त राजू कुमार नाग ने  दंतेवाड़ा सिटी कोतवाली थाना में लिखित आवेदन दिया है. इस आवेदन के आधार पर थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी  है.

NDTV ने प्रमुखता से इस भ्रष्टाचार के मुद्दे को सबसे पहले उठाया था.जिसके बाद पुलिस महकमा हरकत में आया और थाने में बीएनएस और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की  धारा318(4),338,336(3)340(2),और 61(2) के तहत गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद पुलिस ने बिना देर करते हुए दोनों ही अफसरों को गिरफ्तार भी कर लिया है. 

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ऐसे चल रहा था खेल

 विभाग के ये अफसर मोटी कमीशन और अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के मकसद से सारे नियमों को दरकिनार कर निविदा प्रक्रियाओं को बिना संवाद से प्रकाशन करवाए फर्जी तरीके से एडिटिंग करते थे. लंबे समय से यह खेल जिले में खेला जा रहा था. जब कलेक्टर ने 4 सालों की फाइलों को खंगाला तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. विकास कार्यो के जारी कामों को फर्जी टैंडर से लगाने वाले 45 काम दिखे. सूत्रों मुताबिक अभी और भी निर्माण कार्यो की फाइलों की जांच हो रही है साथ जिन ठेकेदारों ने अधिकारियों से साठगांठ कर काम हासिल किए हैं. उसकी भी जांच करवाई जा रही है.

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