Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर जिले में डायरिया के बाद अब मलेरिया का खतरा मंडरा रहा है. जिस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. इस जिले में 7 जुलाई से अब तक 501 डायरिया मरीजों की पुष्टि हो चुकी है. जिसमें 429 मरीज स्वस्थ होकर वापस घर जा चुके हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि डायरिया से एक और मलेरिया से दो लोगों की जान जा चुकी है. डायरिया से पीड़ित 72 मरीजों और 7 मलेरिया मरीजों का उपचार जिले के अलग- अलग अस्पतालों में चल रहा है.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुई हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. गुरुवार को कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी जिसमें जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा गया है.
मलेरिया से सगे दो भाइयों को मौत
कोटा बेलगहना क्षेत्र के गांव टेंगनमाड़ा निवासी इमरान अली और इरफ़ान अली की तबियत पिछले कुछ दिनों से खराब थी. दोनों में मलेरिया के लक्षण थें, परिजन गांव के ही झोला छाप डॉक्टर से इनका इलाज करवा रहे थे. इलाज के दौरान बुधवार को दोनों भाइयों की मौत हो गई. इधर कोटा ब्लॉक के अन्य गावों में फैले मलेरिया का सर्वे कर रहे अफसर दो बच्चों की मौत के बाद सकते में आ गए. आनन- फानन में बच्चों का शव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा लाए गए, यहां परिजनों ने मलेरिया से मौत होने के साथ ही झोलाछाप डॉक्टर पर गलत इलाज का आरोप लगाया. हंगामें के बाद बच्चों के शव का पोस्टमार्टम गुरुवार को कराने का निर्णय लिया गया है.
33 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानी बांटने का किया था दावा
स्वास्थ्य विभाग ने कोटा क्षेत्र के मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में हेल्थ कैंप लगाया है. इस दौरान जांच में 3 मलेरिया पॉजिटीव मरीज और मिले हैं. जिन्हें सिम्स में भर्ती कराया गया है. कोटा के जिन गांवों से मलेरिया के मरीज मिले हैं, वहां पिछले साल ही स्वास्थ्य विभाग ने 33 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानी बांटने का दावा किया था. इसको खरीदने में लगभग 5 करोड़ रूपए की लागत आई थी. इसके बाद भी लगातार कोटा क्षेत्र के दर्जनों गांव से मलेरिया के मरीज मिल रहे हैं.
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