
Chhattisgarh CIMS New Medical Research: छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, यानी सिम्स मेडिकल कॉलेज, बिलासपुर (Bilaspur) में एक बड़ा रिसर्च हुआ है. इस मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्मेंट (Micro Biology Department) ने ट्राइकोस्परोन फंगस (Trichosporon Fungus) पर बड़ा रिसर्च किया है. यह फंगस कितना घातक है, इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है. माइक्रोबायोलॉजी डिपार्मेंट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. रमणेश मूर्ति के मुताबिक, यह बेहद ही जानलेवा फंगस है, जो आमतौर पर तब इंसान के शरीर में पैदा होता है जब डॉक्टर किसी मरीज को बीमारी के दौरान पूरी दवा खाने की सलाह देते हैं और मरीज आधी-अधूरी दवा खाकर अपनी बीमारी को ठीक मान लेता है. इस दौर में ही यह जानलेवा फंगस शरीर में उत्पन्न होता है और वह शरीर के कई भागों में फैल जाता है.

सिम्स में हुआ खस रिसर्च
क्या है ट्राइकोस्परोन फंगस? (What is Trichosporon Fungus)
सिम्स में इस फंगस को ट्रेस करने के लिए लगभग दो से ढाई हजार मरीजों के खून, पेशाब, मवाद और बॉडी फ्लूड के नमूनों की जांच हुई है. इनमें ही 57 तरह के ट्राइकोस्परोन प्रजातियों के फंगस मिले हैं. यह फंगस बेहद ही नुकसानदायक है, जो मरीज के शरीर के इम्यून सिस्टम को कम कर देता है. समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की जान भी जा सकती है. इसलिए डॉक्टर इस फंगस की दवा पर भी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं.

कई मरीजों से लिए गए सैंपल
हालांकि, फिलहाल बाजारों में जो दवा उपलब्ध है, उसे ही इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. लेकिन, यह भी कितना कारगर है, फिलहाल डॉक्टर इसकी जानकारी देने से कतरा आ रहे हैं.
ये भी पढ़ें :- Bad Condition Ambulance: एक एम्बुलेंस में भर दिए 10-12 मरीज, सवारियों की तरह ठूंस कर ले गए डायग्नोस्टिक सेंटर... वीडियो वायरल
ऐसे किया गया जानलेवा फंगस को ट्रेस
सिम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्मेंट में इस फंगस की पहचान के लिए एंटीफंगस सेफ्टी एबिलिटी टेस्टिंग की गई है. इसी सैंपल आधारित शोध में इसकी पहचान हुई है. यह शोध साल 2020 से 2024 के बीच हुआ है, जो माइक्रोबायोलॉजी डिपार्मेंट के सिर और सिम्स के डीन डॉक्टर रमनेश मूर्ति के सुपरविजन में किया गया है.
इसके अलावा, इस काम के लिए डॉक्टर रेखा बारापत्रे और डॉक्टर सागरिका प्रधान ने भी अहम भूमिका निभाई है. फिलहाल इस फंगस से लोगों को बचाव करने और कैसे इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके, इस पर सिम्स की बड़ी टीम काम करने में जुटी हुई है.
ये भी पढ़ें :- Water Crisis: तीन-चार दिन पर नल से पानी आता है 15-20 मिनट के लिए... धार में गहराया जल संकट