छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला सूबे की 'ऊर्जाधानी' भी कहा जाता है. कोरबा में ही सरकारी विद्युत उत्पादन कंपनी और एनटीपीसी मौजूद हैं, साथ ही बिजली पैदा करने वाली कई निजी कंपनियों के प्लांट भी इसी जिले में हैं. ऊर्जाधानी कहने के पीछे एक अहम वजह यहां की कोयला खदानें भी हैं. एशिया का सबसे बड़ा ओपन कास्ट माइन यानी खुला कोयला खदान कोरबा जिले के गेवरा में हैं. इसी जिले में भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र, भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) भी है. बिजली और एल्युमिनियम उत्पादन के अलावा ये जिला यहां रहने वाली जनजातियों के लिए भी जाना जाता है.
इस वजह से जिले का नाम पड़ा ‘कोरबा'
कोरबा जिला पहले बिलासपुर जिले का हिस्सा हुआ करता था. 25 मई 1998 में इसे बिलासपुर से अलग एक स्वतंत्र जिला बनाया गया. कोरबा जिले में ही कोरवा जनजाति के लोग मूल रूप से रहा करते थे, इसलिए जिले का नाम 'कोरबा' पड़ा.
इस वजह से कहा जाता है छत्तीसगढ़ की ‘ऊर्जाधानी'
कोरबा कोलफील्ड में एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोयला खदान है, जो एसईसीएल द्वारा संचालित है. एक आंकड़े के अनुसार कोरबा में हर साल 140 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है, जो देश के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 17 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ के कुल कोयला उत्पादन का 85 प्रतिशत है. एक अनुमान के अनुसार जिले में मौजूद थर्मल पावर प्लांट (एन.टी.पी.सी., केटीपीएस, बालको और बीसीपीपी, डीएसपीएम, सीएसईबी ईस्ट, सीएसईबी वेस्ट) से 3650 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाता है. इनके अलावा, माचादोल, बांगो में हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन भी मौजूद है.
कोसा उत्पादन के लिए जाना जाता है कोरबा
कोसा सिल्क, जो भारत ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है, उसका उत्पादन कोरबा जिले में मुख्य रूप से होता है. कोसा सिल्क दुनिया भर में अपने नर्म टेक्स्चर के लिए जाना जाता है और यह सिल्क के सबसे शुद्ध प्रकारों में गिना जाता है. छत्तीसगढ़ से विदेशों में भी इस सिल्क का निर्यात होता है.
कोरबा जिला एक नजर में
- एरिया: 7,145,44 स्व.मीटर
- आबादी: 1,206,640
- साक्षरता दर: 72.40%
- विकासखंड: 5
- संसदीय क्षेत्र- 1 (कोरबा)
- विधानसभा क्षेत्र- 4 (कोरबा, कटघोरा, पाली तानाखार और रामपुर)
- गांवों: 792
- नगर पालिका: 5
- पुलिस स्टेशन: 17
- भाषा: हिंदी और छत्तीसगढ़ी