Padmashree Award To Jageshwar Yadav: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर जिले (Jashpur) के रहने वाले समाजसेवी जागेश्वर यादव (Social Worker Jageshwar Yadav) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने पद्मश्री से सम्मानित (Padma Shri Award) किया. गुरुवार को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली (President House) में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह (Padma Award Ceremony) में उन्हें यह सम्मान मिला. बता दें कि जागेश्वर यादव का नाम 2024 के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हुआ था. जिले के बिरहोर आदिवासियों (Birhor Tribe) के उत्थान के लिए बेहतर कार्य करने पर उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है. जागेश्वर यादव ने आदिवासियों को साक्षर करने (To Educate Tribals) और शिशु मृत्यु दर कम करने जैसे बड़े कार्य किए हैं.
बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाड़ियों व जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की है. साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है. उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी. इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली.
आदिवासियों के बीच रहकर किया उत्थान
जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था. बचपन से ही उन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी. घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे, जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया. उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा. इसके बाद उन्होंने शिक्षा की अलख जगाई और स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया.
2015 में मिला शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान
जागेश्वर यादव ‘बिरहोर के भाई' के नाम से चर्चित हैं. जागेश्वर को उनके बेहतर कार्य के लिए पहले भी 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है. आर्थिक कठिनाइयों की वजह से उनके लिए यह सब आसान नहीं रहा. लेकिन, उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा. जागेश्वर बताते हैं कि पहले बिरहोर जनजाति के लोग, उनके बच्चे अन्य लोगों से मिलते-जुलते नहीं थे. बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे. इतना ही नहीं जूतों के निशान देखकर भी छिप जाते थे. ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना तो बड़ी दूर की बात थी. लेकिन, अब समय बदल गया है. जागेश्वर यादव के प्रयासों से अब इस जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाते हैं.
गांव में खुशी का माहौल
जागेश्वर यादव के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने के बाद से ही परिवार और पूरा गांव खुशियां मना रहा था. लोगों का बधाई देने के लिए उनके घर आने का सिलसिला जारी था. गुरुवार को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जागेश्वर यादव को पद्मश्री से सम्मानित किया. जिसके बाद परिवार और पूरा गांव सहित जिले भर में लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
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