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This Article is From Oct 17, 2024

छत्तीसगढ़ में ED का बड़ा एक्शन, सस्पेंड IAS रानू साहू और माया वारियर गिरफ्तार, जानें किस मामले में हुई कार्रवाई

CG DMF Scam- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ सरकार की महिला अधिकारी माया वारियर (Maya Barrier) और रानू साहू (Ranu Sahu) को कथित जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) घोटाले में गिरफ्तार किया है.

छत्तीसगढ़ में ED का बड़ा एक्शन, सस्पेंड IAS रानू साहू और माया वारियर गिरफ्तार, जानें किस मामले में हुई कार्रवाई

CG DMF Scam- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ सरकार की महिला अधिकारी माया वारियर (Maya Varier) और रानू साहू (Ranu Sahu) को कथित जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) घोटाले में गिरफ्तार किया है. यह मामला राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आया था. 

ईडी के मुताबिक, दोनों को क्रमशः 15 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया. दोनों ही अधिकारी छत्तीसगढ़ के जिला खनिज निधि (डीएमएफ) घोटाले में मुख्य आरोपी हैं. उन्हें क्रमशः 16 अक्टूबर और 17 अक्टूबर को रायपुर की विशेष अदालत (पीएमएलए) समक्ष पेश किया गया. अदालत ने उन्हें 22 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है. 

आदिवासी और अनुसूचित जाति विकास विभाग में तैनात माया वारियर को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया और बुधवार को यहां मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम की विशेष अदालत में पेश किया गया. ईडी के वकील सौरभ पांडे ने कहा कि पिछले साल से ईडी की ओर से डीएमएफ मामले में यह पहली गिरफ्तारी थी. 

क्या है आरोप? 

ईडी की जांच से पता चला है कि रायगढ़ और कोरबा जिलों में कलेक्टर के रूप में रानू साहू के कार्यकाल के दौरान डीएमएफ में कथित अनियमितताएं की गईं (राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान), और उन्हें डीएमएफ के तहत काम आवंटित किए गए ठेकेदारों से भारी रिश्वत मिली. ईडी के वकील ने दावा किया, "जब साहू कोयला समृद्ध क्षेत्रों में कलेक्टर थीं, तो वारियर संबंधित विभागों में तैनात थी और डीएमएफ में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया." 

ईडी ने इस साल मार्च में आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से जुड़े खनन ठेकेदारों ने आधिकारिक काम के टेंडर पाने के लिए राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक कार्यकारियों को "भारी मात्रा में अवैध रिश्वत" दी. डीएमएफ राज्य के हर जिले में स्थापित एक ट्रस्ट है और खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए खनिकों द्वारा वित्त पोषित है.

ईडी का आरोप- करोड़ों की हेराफेरी

ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत डीएमएफ ठेकेदारों द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके सरकारी खजाने के पैसे की हेराफेरी करने के लिए दर्ज 03 अलग-अलग एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. यह मामला छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि से भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग से संबंधित है.

आरोप है कि रानू साहू मई 2021 से जून 2022 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन जिला कलेक्टर थीं और श्रीमती माया वारियर अगस्त, 2021 से मार्च, 2023 तक कोरबा, छत्तीसगढ़ में आदिवासी विकास विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त थीं. ईडी का दावा है कि कोरबा में उनके कार्यकाल के दौरान विक्रेताओं/ठेकेदारों से अवैध कमीशन वसूली की एक संगठित प्रणाली संचालित की जा रही थी. ईडी की जांच में पता चला है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन/अवैध रिश्वत का भुगतान किया है, जो अनुबंध मूल्य का 25% से 40% तक है. रिश्वत के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं/ठेकेदारों द्वारा आवास प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी.

एफआईआर में "अपराध की आय" का कोई परिमाणीकरण नहीं है. हालांकि, ईडी की जांच में पता चला है कि केवल कोरबा जिले को आवंटित डीएमएफ फंड इसकी स्थापना से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 1000 करोड़ रुपये से अधिक है और कमीशन की प्रचलित दर के साथ, अकेले कोरबा में कमीशन की राशि सैकड़ों करोड़ रुपये है.

ईडी ने मारा था छापा 

इससे पहले, ईडी, रायपुर ने डीएमएफ घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर सरकारी अधिकारियों, विक्रेताओं/ठेकेदारों और आवास प्रविष्टि प्रदाताओं के मामले में तलाशी अभियान चलाया था.
 

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