बिलासपुर में मंगलवार को भीषण रेल हादसा हो गया. यहां MEMU ट्रेन आगे खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई. टक्कर इतनी भीषण थी कि मालगाड़ी का ब्रेक वैगन यानी गार्ड केबिन MEMU ट्रेन की पहली बोगी यानी इंजन में घुस गया और MEMU का पहला डिब्बा मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया. इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायलों का इलाज जारी है. इस भीषण हादसे को देखकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या हैं वे सवाल आइए जानते हैं.
ड्राइवर ने सिग्नल की अनदेखी की ?
इस सवाल का जवाब रेलवे की जांच टीम तलाशने की कोशिश कर रही है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ है, तो यही हादसे की सबसे बड़ी वजह हो सकती है, लेकिन लोको पायलट ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते हैं, क्योंकि वो उसी रफ्तार से जानबूझकर सिग्नल की अनदेखी नहीं कर सकते थे.
क्यों MEMU ओवरशूट हुई ?
सेम ट्रैक पर जा रही मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मारने का मतलब ही ये है कि MEMU पैसेंजर ट्रेन ओवरशूट हुई. रेलवे के टर्म में ओवरशूट का मतलब होता है सिग्नल तोड़ कर आगे बढ़ जाना. इस मामले में ओवरशूट तो हुआ है, लेकिन सवाल फिर वही है कि आखिर इतनी तेज रफ्तार से नियमों के खिलाफ जाकर ओवरशूट हुआ, तो हुआ कैसे? जांच टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सिग्नल ओवरशूट होने के पीछे तकनीकी खामी थी या मानवीय गलती?
क्या MEMU के ब्रेक फेल हुए ?
इस बात की आशंका बहुत ही कम है, क्योंकि मौजूदा वक्त में MEMU's बहुत ज्यादा एडवांस्ड हैं और अगर ऐसा होता, तो लोको पायलट को पहले ही पता चल जाता. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि MEMU ट्रेनों में आधुनिक सिग्नलिंग और ब्रेकिंग सिस्टम होता है, जिससे इस तरह की चूक कम ही होती है. फिर भी हादसे के वक्त ट्रेन की स्पीड कितनी थी और क्या ब्रेकिंग सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा था, इसकी जांच की जा रही है.
तकनीकी दिक्कत या मानवीय भूल ?
ये सवाल बहुत बड़ा है, क्योंकि इस मामले में दोनों की आशंका रहती है. अगर सिग्नलिंग में कोई गड़बड़ी थी. या फिर ब्रेक फेल हुए, तो ये तकनीकी दिक्कत थी, लेकिन अगर लोको पायलट ने सिग्नल मिस किया या नियमों का पालन नहीं किया या रफ्तार ज्यादा रखी, तो फिर ये लोको पायलट की गलती ही कहलाएगी. हालांकि, जांच टीम ये भी देख रही है कि क्या सिग्नल सही काम कर रहे थे और हादसे के वक्त लोको पायलट को क्या सिग्नल मिला था?
क्या है ऑटोमेटिक सिग्नल के नियम ?
मौजूदा वक्त में देश में दोनों तरह के सिग्नलिंग सिस्टम काम कर रहे हैं. पहला मैनुअल और दूसरा ऑटोमेटिक. मैनुअल तरीके में अब भी स्टेशन मास्टर ट्रेन के लोको पायलट को आगे के सेक्शन की स्थिति बताते हुए निर्देश देते हैं, जबकि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग में ये सारा काम अपने आप होता है. इस दौरान ऑटोमेटिक सिग्नल के लिए नियम है कि अगर काफी देर से रेड सिग्नल है, तो लोको पायलट सामान्य रोशनी में 15 किमी प्रति घंटे और धुंध या खराब विजिबिलिटी में 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ सकता है.
क्या लोको पायलट को नींद आई थी ?
इस बात की आशंका बहुत ही कम है, क्योंकि एक वक्त में इंजन में दो पायलट होते हैं. एक सीनियर और दूसरा उससे जूनियर. ऐसे में एक ही वक्त में दोनों को नींद आ जाना या दोनों का एक साथ बेसुध या बेहोश होना लगभग नामुमकिन है. ऐसा इसलिए भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ये MEMU ट्रेन पिछले ही स्टेशन पर हमेशा की तरह रुकी थी और फिर वहां से चली भी थी.
सेम ट्रैक पर दो गाड़ी कैसे आ गईं ?
रेलवे में एक ही ट्रैक पर आमने-सामने ट्रेन आ जाना बहुत बड़ी और विध्वंसक गलती होती है, लेकिन इस मामले में दोनों ट्रेनें एक ही ट्रैक पर तो थीं, पर एक ही दिशा की तरफ थीं. मालगाड़ी खड़ी थी, जबकि MEMU ने उसके पीछे से टक्कर मारी. रेलवे के नियमों में एक ही दिशा में आगे बढ़ रही ट्रेनों के लिए भी नियम है. जांच टीम ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्यों दोनों ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी को नहीं बनाकर रखा गया और इसमें किसकी गलती है?
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ये वो तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब रेलवे की जांच टीम तलाश रही है. अब जांच रिपोर्ट के बाद ही साफ होगा कि आखिर इतने बड़े हादसे की वजह क्या रही?