Chhattisgarh Bilaspur Highcourt: छत्तीसगढ़ के जेलों की स्थिति को सुधारने के लिए हाईकोर्ट में एक अहम सुनवाई हुई. यह सुनवाई जेलों में कैदियों के बीच बढ़ती हिंसा और प्रशासनिक लापरवाही पर स्वत: संज्ञान लेते हुए की गई थी.अदालत ने जेल सुधार और कैदियों के जीवन स्तर में बदलाव की आवश्यकता को जरूरी बताया है .
कोर्ट ने सुनवाई में पुलिस महानिदेशक (जेल) ने 2018 से लेकर 2024 तक जेलों के निर्माण और कैदियों की संख्या की स्थिति को लेकर तुलनात्मक सुधार का ब्योरा पेश किया .प्रदेश की जेलों के निर्माण में देरी को लेकर याचिकाकर्ता के वकील ने अपना पक्ष रखा.
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच में यह सुनवाई हुई है. जिसमें बेंच के 5 नवंबर 2024 के आदेश की परिपालन में पुलिस महानिदेशक जेल ने हलफनामा पेश किया. सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ने पूछा की स्पेशल जेल क्या होती है..? वहीं पुलिस महानिदेशक से इसकी जानकारी ली है. कोर्ट ने जेल के अंदर लॉ एंड ऑर्डर को बरकरार रखने के निर्देश भी दिए हैं.
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जेलों की ऐसी है स्थिति
राज्य की जेलों में कैदियों की संख्या निर्धारित क्षमता से अधिक है. कुल 15,485 कैदियों की क्षमता वाली जेलों में वर्तमान में 19,476 कैदी हैं. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के जिलों में कैदियों क्षमता से अधिक कैदियों को जेल में रखा जा रहा है. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जेलों में सुधारात्मक कदम उठाने, और प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई के लिए शपथ पत्र मांगा है.जेल हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए विशेष प्रयासों की मांग की गई है. हाई कोर्ट की इस पहल से राज्य में जेल सुधार की प्रक्रिया तेज होने और कैदियों को मानवीय जीवन जीने का अवसर मिलने की उम्मीद है.
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