SC-ST Reservation Supreme Court Judgement: एसटी-एसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के द्वारा हाल में दिए गए एक निर्णय (Sub-Classification Of Scheduled Castes & Creamy Layer Exclusion) को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है. ऐसे समय में पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव (TS Singh Deo) ने कहा है कि कांग्रेस (Congress) एसटी-एससी आरक्षण में क्रीमी लेयर के पक्ष में नहीं है. उन्होंने ने यह भी कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय (SC) ने इस मामले में कोई निर्णय नहीं दिया गया है. बल्कि एक सुझाव दिया गया है. उन्होंने कहा है कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार चाहें तो ऐसा कर सकती हैं.
डिप्टी सीएम ने ये भी कहा
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने अम्बिकापुर के राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि इस बारे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि आरक्षण के इस मामले में वे देश के सभी राज्यों के कांग्रेस प्रमुखों से चर्चा करने के बाद ही अपना अंतिम कोई निर्णय देंगे. सिंह देव ने कहा कि आरक्षण के अन्दर आरक्षण देने का सुझाव कोर्ट का है. उन्होंने ने छत्तीसगढ़ के परिवेश का उदहारण देते हुए कहा बताया कि जैसे छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण सभी आदिवासियों के लिए 33 प्रतिशत है, लेकिन छत्तीसगढ़ के चार ऐसे जनजाति जिन्हें केन्द्र सरकार ने PGTV यानि अति पिछड़ी जनजाति के श्रेणी में रखा गया है, उनके लिए इसी आरक्षण में कुछ प्रतिशत अलग से आरक्षण क्या किया जा सकता है? ऐसा कोर्ट ने सुझाव देते हुए टिप्पणी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा कि वे चाहे तो ऐसा कर सकते हैं जोकि काफी बड़ी बात है.
एसटी-एससी आरक्षण में क्रीमीलेयर लाना बड़ा मुद्दा है
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि देश OBC के आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान है जिसके अंतर्गत ऐसे OBC कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का लाभ सरकारी सेवाओं में नहीं मिलता है जोकि इसके दायरे में आते हैं. लेकिन ठीक इसी प्रकार एसटी-एससी आरक्षण में भी क्रीमीलेयर का दायरा आने का सुझाव सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया है जो बहुत बड़ा मुद्दा है. उन्होंने ने कहा कि एसटी एससी आरक्षण में अगर क्रीमी लेयर का प्रावधान लाया जाता है तो एसटी-एससी में क्रीमी लेयर की श्रेणी में आने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. लेकिन यह उत्तम न्यायालय का महज एक सुझाव है जिसे सरकार चाहे तो लागू कर सकती इसमें सुप्रीम कोर्ट कोई आपत्ती नही होगी. उन्होंने ने कहा कि यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है.
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