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Bhilai News: हत्या के मामले में 19 वर्षीय युवक को हुआ आजीवन कारावास! 16 साल की उम्र में दिया था अपराध को अंजाम...

CG News in Hindi: भिलाई में हत्या के मामले में एक 19 साल के आरोपी को अब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिस हत्या के लिए उसे सजा सुनाई गई है, उसे उसने 16 साल की उम्र में अंजाम दिया था.

Bhilai News: हत्या के मामले में 19 वर्षीय युवक को हुआ आजीवन कारावास! 16 साल की उम्र में दिया था अपराध को अंजाम...
कोर्ट ने 19 साल के युवक को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

Lifetime Imprisonment to young boy: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के भिलाई (Bhilai) में हत्या के एक मामले में तीन साल बाद आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. 16 साल की उम्र में अपराध करने वाले युवक को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है. न्यायालय ने आरोपी पर 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश (एफएटीसी/बालक न्यायालय) अवध किशोर ने सुनाया. दोषी युवक की उम्र फिलहाल में 19 वर्ष 11 माह है. बताया गया कि उसने अपने ही गांव के एक युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी थी.

अपने गांव के युवक की ली थी जान

घटना 20 फरवरी 2021 की है. सरकार की ओर से पैरवी करने वाली वकील पूजा मोगरी ने बताया कि अपचारी बालक ने चाकू मारकर अपने गांव के युवक मनोज सार्वे की हत्या कर दी थी. मनोज अपने दो दोस्तों के साथ अमलेश्वर से गांव लौट रहा था. शाम करीब 7 बजे कोपेडीह तालाब के पास अपचारी बालक अपने दो साथियों के साथ बाइक से आया और उसने मनोज की बाइक को कट मार दिया. इस पर मनोज ने ठीक से चलाने को कहा, जिससे बालक गुस्से में आ गया. 

इस वजह से ली थी जान

अपचारी बालक ने मनोज के साथ गाली-गलौज की और हाथापाई करने लगा. इसके बाद मनोज वहां से अपने दोस्तों के साथ रामायण आयोजन स्थल पर चला गया. रात करीब 10:30 बजे मनोज को बुलाने के लिए प्रकाश ठाकुर नामक व्यक्ति आया. मनोज प्रकाश के साथ तुलसीराम सिन्हा के घर के पास गया, जहां अपचारी बालक पहले से मौजूद था. वहां बालक ने 12 इंच का धारदार चाकू निकालकर मनोज पर हमला कर दिया. घायल मनोज को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

कोर्ट का मामले में फैसला

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया. सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि धारा 302 के तहत दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है. किशोर न्याय अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे दोषी को कम सजा दी जा सके. न्यायालय ने सजा सुनाते हुए कहा कि दोषी की उम्र वर्तमान में 19 वर्ष 11 माह है. किशोर न्याय अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत 21 साल की उम्र पूरी होने तक दोषी को सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा. इस दौरान उसे सुधारात्मक सेवाएं, दक्षता विकास और वैकल्पिक थैरेपी प्रदान की जाएगी. 21 वर्ष की उम्र के बाद उसे कारागार स्थानांतरित किया जाएगा.

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कोर्ट ने दिया ये संकेत

इस फैसले के साथ न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत बालकों को सुधारने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन गंभीर अपराधों के लिए उन्हें उनके कृत्य का दंड जरूर दिया जाएगा. न्यायालय ने कहा कि सजा के दौरान दोषी की सुधारात्मक स्थिति की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी. यदि अधिकारी संतुष्ट होते हैं, तो राज्य शासन दोषी के दंडादेश में परिहार कर सकता है.

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