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MP Tribal Problem: बैगा जनजाति का भविष्य खतरे में! सड़क नहीं तो घर में ही प्रसव, नहीं बनता जन्म प्रमाण पत्र

Tribals Problem: कवर्धा जिले में जनजाति समाज, मुख्य रूप से बैगा जनजाति के बच्चों का भविष्य अंधकार में है. यहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की भारी लापरवाही सामने आई है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

MP Tribal Problem: बैगा जनजाति का भविष्य खतरे में! सड़क नहीं तो घर में ही प्रसव, नहीं बनता जन्म प्रमाण पत्र
बैगा जनजाति के लोगों को नहीं मिल रही सुविधाएं

CG Tribal People: एक ओर सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो दूसरी ओर इस महोत्सव के भीड़ में एक ऐसा समाज है, जो आजादी और महोत्सव शब्द के मायने खोज रहे है. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा जनजाति के लोगों का बेहाल है. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कबीरधाम (Kabirdham) जिले में हालात बताते है कि इस समाज के लोग आजाद भारत के नागरिक तो बन गए, लेकिन असुविधाओं को लेकर आज भी ये सुविधाहीन जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. कबीरधाम जिले के ग्राम गभोड़ा में 80 परिवार, लगभग 400 की संख्या में बैगा जनजाति (Baiga Tribe) के लोग करते है. यह गांव चारों तरफ से पहाड़ों के बीच गहरी खाई में बसा हुआ है. यहां न बिजली पहुंच पाई है, न सड़क, न शिक्षा और न ही स्वास्थ्य सुविधा. राष्ट्रपति के ये दत्तक पुत्र (President's Dattak Putra) सरकारी सुविधाओं के कुछ अंश मात्र और खुद के कठोर संघर्ष के सहारे जीवन जी रहे हैं...

बैगा जनजाति के लोगों को नहीं मिल रही सुविधाएं

बैगा जनजाति के लोगों को नहीं मिल रही सुविधाएं

दत्तक पुत्रों को हो रही भारी परेशानी

गांव में एक ही हैंडपंप है और उसमें से भी पर्याप्त पानी नहीं निकलता है. लोग झिरिया के पानी से प्यास बुझाते हैं. शिक्षा के लिए वर्षों पुराना प्राथमिक स्कूल भवन बना है, इसकी भी छत आंधी में उड़ जाने से खंडहर हो गई है. पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है. इसी तरह प्रकाश के लिए सौर ऊर्जा का प्लेट लगा है, लेकिन वर्षों से बिगड़ा हुआ है. बाजार में मिलने वाले टार्च के सहारे घर को रोशन करते हैं. सड़क सुविधा नहीं होने से आवास के योजना से ये लोग आज भी वंचित हैं.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को नहीं मिल रही सुविधा

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को नहीं मिल रही सुविधा

नवजात बच्चों के साथ लापरवाही

गांव में रहने वाली जनजाति महिला रामबाई बताती है कि उन्हें पांच दिन हुआ है प्रसव हुए लेकिन, आज तक नवजात को टीका नहीं लग पाया है. प्रेगनेंसी के दौरान एक भी स्वास्थ्य अमला उनके पास नहीं आया. उन्हें न एक इंजेक्शन लगा न एक गोली मिली. घर में ही कराहते हुए खुद से प्रसव कराया. यह सिर्फ एक महिला का दर्द नहीं है, बलकि यहां रहने वाली सभी महिलाओं की यही स्थिति है. वें घर में ही प्रसव कराती है. इसका कारण ये भी है कि अस्पताल तक जाने के लिए गांव में सड़क भी नहीं बनी है.

बैगा जनजाति के गांव तक जाने के लिए सड़क ही नहीं

बैगा जनजाति के गांव तक जाने के लिए सड़क ही नहीं

चार बच्चे, एक का भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं - फूलबाई बैगा

इसी तरह एक और बैगा महिला फूलबाई अपनी परेशानी बताती है कि उनके चार बच्चें है. सभी का जन्म घर में ही हुआ है, लेकिन आज तक उनमें से किसी का भी जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड नहीं बन पाया है. बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जाने वाली सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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क्या कहते हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी?

इधर, इस मामले को लेकर सवाल पूछने पर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बी एल राज, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी यह कह रहे हैं कि स्थानीय स्वास्थ्य अमला को लगातार निर्देशित करते है. अगर ऐसी परेशानी है, तो वे खुद वहां जायेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं में कोताही को लेकर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे.

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