
Naxalism in CG: पिछले सप्ताह अबूझमाड़ मुठभेड़ के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस और खुफिया एजेंसियां भूमिगत माओवादी कैडरों और उनके बाहरी समर्थकों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रही हैं. इस महीने की 21 तारीख को बीजापुर-नारायणपुर जिले की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षाबलों ने शीर्ष नक्सली नेता बसवराजू समेत 27 नक्सलियों के शव बरामद किए थे.
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पुलिस और खुफिया एजेंसियां भूमिगत माओवादी कैडरों के साथ-साथ उनके मददगारों और समर्थकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं. अधिकारियों ने कहा कि माओवादियों ने स्वीकार किया है कि मुठभेड़ में उनके महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू सहित कुल 28 कैडर मारे गए. नक्सलियों पर सबसे बड़े हमलों में से एक में, सुरक्षाबलों ने 21 मई को बीजापुर-नारायणपुर जिले की सीमा में स्थित अबूझमाड़ के कुडमेल-कलहाजा-जाटलूर गांव के जंगल में भीषण मुठभेड़ के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू और 26 अन्य नक्सलियों को मार गिराया. अभियान के दौरान राज्य पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दो जवानों की भी जान गई.
नक्सलियों ने किया ये दावा
पच्चीस मई को नक्सलियों द्वारा जारी एक कथित बयान में माओवादियों ने दावा किया कि बसवराजू की इकाई में सक्रिय कुछ कैडरों ने हाल में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और अभियान में पुलिस की मदद की. इस बयान को सोमवार को सोशल मीडिया पर साझा किया गया. तीन पन्नों का यह बयान माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के प्रवक्ता विकल्प के नाम से जारी किया गया है. डीकेएसजेडसी ने दक्षिण बस्तर में कई घातक हमलों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
कथित बयान में माओवादियों ने कहा है कि 21 मई को सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में बसवराजू सहित 35 कैडर शामिल थे और उनमें से 28 मारे गए जबकि सात अन्य भागने में सफल रहे. पुलिस ने 27 नक्सलियों के शव बरामद किए थे. माओवादियों ने कहा है कि नक्सली सदस्य नीलेश का शव उन्हें मिला है.
‘अपने नेता की रक्षा करने में विफल रहे...'
बयान में कहा गया है, ''महासचिव कामरेड बीआर दादा (नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू) के माड़ में मौजूद रहने के बारे में पुलिस खुफिया कर्मियों को पहले से जानकारी थी। छह महीनों में माड़ क्षेत्र से अलग अलग यूनिटों के कुछ लोगों ने कमजोर होकर पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया। इन लोगों ने हमारी गोपनीय जानकारी उन्हें दी.” माओवादियों ने बयान में माना कि वे अपने नेता की रक्षा करने में विफल रहे.
‘उनकी मृत्यु को महिमामंडित करने की कोशिश में है नक्सली'
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नक्सलियों के कथित बयान को लेकर कहा कि अबूझमाड़ मुठभेड़ के संबंध में भाकपा (माओवादी) द्वारा जारी प्रेस नोट में उन्होंने यह स्वीकार किया है कि इस गोलीबारी में उनके महासचिव बसवराजू सहित कुल 28 कैडर मारे गए.
उन्होंने कहा, ''इस प्रेस विज्ञप्ति में यह अवैध और प्रतिबंधित संगठन अपने समर्थकों को देशभर में रैलियां और सभाएं आयोजित कर, अपने क्रूर और भयावह नेतृत्व की मृत्यु को महिमामंडित करने के लिए भड़काने की कोशिश कर रहा है.” अधिकारी ने कहा कि यह वही नेतृत्व है जो हजारों निर्दोष नागरिकों, आदिवासियों, महिलाओं, बच्चों और सुरक्षाबलों की मौत का जिम्मेदार रहा है.
हथियारों का जखीरा बरामद
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से तीन एके-47 राइफल, चार सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर), छह इंसास राइफल, एक कार्बाइन, छह .303 राइफल, एक बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल), दो रॉकेट लांचर, तीन 12 बोर की बंदूकें, एक देसी पिस्तौल, दो भरमार बंदूकें और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया है.
सुंदरराज ने कहा, ''बरामद किए गए हथियारों में एक एके 47 राइफल शामिल है, जिसका इस्तेमाल बसवराजू और उसके साथियों द्वारा अप्रैल 2010 में दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में घात लगाकर हमले में किया गया था (जिसमें 76 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई थी). इसमें 2010 के गवादि (नारायणपुर जिला) और 2017 के बुरकापाल (सुकमा जिला) के बाद नक्सलियों द्वारा लूटे गए हथियार भी शामिल हैं.'' उन्होंने कहा कि अन्य हथियारों के स्रोत का पता लगाने के प्रयास जारी हैं.
अधिकारी ने बताया कि बसवराजू देश के सबसे वांछित अपराधियों में से एक था और अब तक 258 से अधिक आपराधिक मामलों के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है, जिसमें उसकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संलिप्तता थी. उन्होंने कहा कि इस मामले में नारायणपुर पुलिस द्वारा आगे की कानूनी कार्रवाई और जांच प्रक्रिया की जा रही है.
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