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This Article is From Sep 01, 2024

छत्तीसगढ़ में हसदेव और हसिया नदी के वजूद पर 'खतरा'! बचाव के लिए क्यों नहीं हो रहा कोई काम?

CG Rivers: नदियां प्राण हैं, नदिया समाज के लिए वरदान हैं. लेकिन देशभर में हमारी नदियों के प्रति असंवेदनशीलता की वजह से इनके वजूद पर संकट खड़ा हो गया है.नदियों में गांवों और शहरों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा. एक ऐसा ही मामला आया है एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ से.  

छत्तीसगढ़ में हसदेव और हसिया नदी के वजूद पर 'खतरा'! बचाव के लिए क्यों नहीं हो रहा कोई काम?
छत्तीसगढ़ में हसदेव और हसिया नदी के वजूद पर खतरा! छोड़ा जा रहा गंदी पानी.

Hasiya and Hasdev River: नदियों से ही हमारा आज है और कल. यदि ये बहती रहेंगी तो जीवन खुशहाल रहेगा. लेकिन विकास की अंधी दौड़ ने हमें अंधा बना दिया है. हमारे कृत्य नदियों के प्रति काफी असंवेदनशील हो गए हैं. एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ में हसिया नदी का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है. नदी के पूरे क्षेत्र में जलकुंभी का डेरा है. बता दें पूरे मनेंद्रगढ़ नपा क्षेत्र के अधिकांश वार्डों का गंदा और दूषित पानी इसी नदी में छोड़ा जाता है.

ब्लॉक  मनेन्द्रगढ़ के ग्राम बैरागी से निकलने वाली हसिया नदी महेंद्रगढ़ से होकर गुजरती है और करीब 31 किमी की दूरी तय कर हसदेव नदी में मिलती है.

गटर का भी मुंह नदी की ओर कर दिया

ग्राम पंचायत लालपुर से लेकर मनेंद्रगढ़ के आमा खेरवा तक करीब 5 किमी नदी गंदगी और जलकुंभी से भरी हुई है. वहीं, नपा क्षेत्र का पूरा कचरा भी इसी हसिया नदी में डंप किया जाता है. इसके साथ ही नगर पालिका ने गटर का भी मुंह नदी की ओर कर दिया. इससे हसिया नदी और हसदेव नदी दोनों ही दूषित हो रही हैं. दो दशक पहले मनेंद्रगढ़ से होकर बहने वाली जिस हसिया नदी की अविरला धारा लोग देखा करते थे, अब यह नाले में बदल गई है. हर रोज इसे पार कर कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी आवागमन करते हैं, बावजूद इस नदी की स्वच्छता को लेकर कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा.

पिछले दस साल से यह पूरी तरह दूषित

मनेंद्रगढ़ में निकली जीवनदायिनी हसिया नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गई है. यह नदी कभी शहर की जीवनदायिनी नदी थी, जहां लोग नहाने के लिये जाया करते थे, लेकिन पिछले दस साल से यह पूरी तरह दूषित हो गई है. इस नदी में घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालियों के माध्यम से नाले में आकर नदी में मिल रहा है, जिससे इसका अस्तित्व ही अब खत्म हो गया है. नदी में इंसानों की जगह अब जानवर दिखाई देते हैं. पानी के अलावा बाजार का कचड़ा भी इसी किनारे डाला जा रहा है.

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क्यों नहीं लगाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट 

हसिया नदी आगे चलकर हसदेव नदी में मिलती है, जिससे वह भी दूषित हो रही है. ऐसा नहीं है कि लोगों ने या वार्ड पार्षद ने नगर पालिका या प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं दिलाया, लेकिन आज तक मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका के द्वारा गंदे पानी को एक जगह स्टोर कर उसे साफ करने के लिये सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया. नगर पालिका अध्यक्ष प्रभा पटेल का कहना है कि शासन को नौ करोड़ का प्रस्ताव भेजा जा चुका है.

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