Ram Mandir in Dantewada: देशभर के श्रद्धालु और रामभक्त 22 जनवरी का इंतजार कर रहे हैं. अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में हर्षोल्लास के साथ की जा रही हैं. 21 साल पहले दंतेवाड़ा में भी रामभक्तों के बीच ऐसा ही उत्साह देखने को मिल रहा था. साल 2002 में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने एक ट्रस्ट बनाया और देवी दंतेश्वरी की पावन भूमि दंतेवाड़ा के आवराभाटा में रेलवे फाटक के पास राम मंदिर की नींव रखी. इस जगह पर भगवान श्री राम और माता जानकी की मूर्ति की विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के लिए राम मंदिर बनवाया गया लेकिन अब इस मंदिर के पटद्वार पर ताले जड़े रहते हैं.
मंदिर में किसी तरह की कोई पूजा-अर्चना नहीं होती है. दंतेवाड़ा के बहुत से लोग आज तक इस मंदिर में भगवान राम के दर्शन नहीं कर पाए हैं. सवाल यह है कि आखिर दंतेवाड़ा में बने इस राम मंदिर में श्रद्धालु क्यों नहीं जाते? दरअसल रेलवे फाटक के पास बना राम मंदिर सार्वजनिक रूप से जरूर तैयार हुआ था लेकिन जिस स्थान पर यह मंदिर बना है वह स्थान मंदिर स्थान पर निवासरत सरिता वीइके के नाम पर है. लिहाजा यह निजी भूमि पर बना मंदिर है.
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मंदिर के अंदर रखवा दिए हथियार
साल 2007-2008 में कुछ उपद्रवियों ने राम नाम को बदनाम करने की मंशा से मंदिर के अंदर हथगोला और एक देशी हथियार रखवा दिया था. तब तात्कालिक एसपी राहुल शर्मा ने ट्रस्ट से जुड़े लोगों पर पुलिसिया कार्रवाई भी की थी, जिसके बाद भू-स्वामी जमीन पर एकाधिकार दिखाने लगीं, जिसके चलते अब यह मंदिर बंद है और इसमें साफ-सफाई और रंग रोगन तक नहीं हो पा रहा है. ब्रह्मचारी महाराज ने इस मंदिर को लेकर जानकारी दी.
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राजस्थान के दानदाता ने दी थीं मूर्तियां
उन्होंने बताया कि साल 2002 में ट्रस्ट बनाकर इस मंदिर की नींव रखी गई थी. ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया गया था. इस मंदिर के अंदर की मूर्तियां विश्व हिंदू परिषद के राजस्थान के दानदाता द्वारा दी गई थीं. अब इस मंदिर पर पूजा-अर्चना नहीं हो रही है. सभी को साथ बैठकर एकजुट होकर इस दिशा में निर्णय लेना चाहिए. दंतेवाड़ा में भाजपा के युवा नेता रामू नेताम ने कहा कि यह मंदिर सार्वजनिक है. सभी के लिए पूजा-पाठ के द्वार खुले हैं. अगामी 22 तारीख के लिए इस मंदिर की भी साफ सफाई करेंगे.