
CG Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में सक्रिय छह महिला माओवादियों ने पुलिस और प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इन महिलाओं ने नक्सली संगठन का साथ छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि लंबे समय तक संगठन में काम करने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि वे सिर्फ हिंसा और तनाव का शिकार बन रही थीं. अब वे एक सामान्य जीवन जीना चाहती हैं और समाज में सकारात्मक योगदान देना चाहती हैं.
आत्मसमर्पित महिला नक्सलियों ने बताया कि नक्सली संगठन में महिलाओं का शोषण लगातार बढ़ रहा था. संगठन में आंतरिक मतभेद, नेताओं की कठोरता और लगातार हो रहे मानसिक व शारीरिक शोषण ने उन्हें तोड़ दिया. इसके अलावा, सुरक्षाबलों की बढ़ती कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीति ने भी उनके आत्मसमर्पण के फैसले को प्रभावित किया.
उन्होंने कहा कि वे वर्षों से नक्सली गतिविधियों में संलग्न थीं, लेकिन संगठन में अब पहले जैसा भरोसा और आपसी सहयोग नहीं बचा है. संगठन के बड़े नेता सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि छोटे स्तर के नक्सलियों को मोहरा बनाया जा रहा है.
नक्सली संगठन में महिलाओं की ऐसी है स्थिति
नक्सली संगठनों में हमेशा से महिलाओं की बड़ी संख्या रही है, क्योंकि संगठन उन्हें समानता और सुरक्षा का झूठा वादा करता है. लेकिन वास्तव में, महिलाओं को कठिनाइयों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. वे न केवल हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर की जाती हैं, बल्कि संगठन के भीतर भी कई प्रकार के शोषण का शिकार होती हैं. आत्मसमर्पण करने वाली महिलाओं ने भी बताया कि संगठन में महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं दिया जाता और वे मानसिक तनाव में रहती हैं.
आत्मसमर्पण नीति से बदल रहे हालात
छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस प्रशासन लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण की नीति को बढ़ावा दे रहे हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाता है, जिससे वे समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें. हाल के वर्षों में कई महिला नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और अब मुख्यधारा से जुड़कर एक बेहतर जीवन जी रही हैं.
छह महिला माओवादियों के आत्मसमर्पण को प्रशासन ने एक बड़ी सफलता बताया है. अधिकारियों ने कहा कि यह न केवल नक्सली संगठनों की कमजोरी को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सरकार की पुनर्वास नीति कारगर हो रही है. आत्मसमर्पण करने वाली महिलाओं को सुरक्षा दी जाएगी और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा ताकि वे एक नई जिंदगी शुरू कर सकें.
नक्सलवाद से छुटकारे की ओर एक और कदम
नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में सरकार शिक्षा, रोजगार और आधारभूत ढांचे के विकास पर जोर दे रही है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज में पुनः स्थापित करने के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं. आत्मसमर्पित महिलाओं ने भी अन्य नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने की अपील की है, ताकि वे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर एक शांतिपूर्ण जीवन जी सकें.
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