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5-5 लाख के तीन खूंखार माओवादियों ने सुरक्षाबलों के सामने किया सरेंडर, ऑटोमैटिक हथियार के साथ किया समर्पण

Naxalite Surrender: गरियाबांद में सोमवार को तीन इनामी माओवादियों ने आईजी अमरेश मिश्रा और गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा की मौजूदगी में पुलिस लाइन में सरेंडर किया. सरेंडर करने वालों सबसे बड़ा नाम दिलीप उर्फ संतु है, जो एसडीके एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर था.

5-5 लाख के तीन खूंखार माओवादियों ने सुरक्षाबलों के सामने किया सरेंडर, ऑटोमैटिक हथियार के साथ किया समर्पण
Naxalites Surrender in Gariaband (Symbolic Image)

Naxalites Surrender In Gariaband: नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में आज 5-5 लाख इनामी 3 नक्सली सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया हैं. आत्म समर्पण करने वालों में 3 नक्सलियों में 1 पुरूष और 2 महिलाएं नक्सली शामिल हैं. नक्सली अपने साथ कई ऑटोमेटेड हथियार भी सुरक्षाबलों को सौंपे हैं.

नारायणपुर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता, 11 नक्सलियों ने किया आत्म-समर्पण

गरियाबांद में सोमवार को तीन इनामी माओवादियों ने आईजी अमरेश मिश्रा और गरियाबंद पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा की मौजूदगी में पुलिस लाइन में सरेंडर किया. सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम दिलीप उर्फ संतु है, जो एसडीके एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर था.

कौन हैं ये नक्सली, जिन पर था पांच-पांच लाख का इनाम?

सरेंडर करने वालों में दो महिलाएं और एक पुरुष माओवादी शामिल हैं. इनमें सबसे बड़ा नाम है दिलीप उर्फ संतु, जो एसडीके एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर था और काकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम केसेकोड़ी का रहने वाला है. संतु ने ऑटोमैटिक हथियार के साथ सरेंडर किया है, जो उसकी खतरनाक पहचान को दर्शाता है.

20 जनवरी का बड़ा ऑपरेशन बना नक्सलियों के लिए काल!

गौरतलब है कि 20 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन में 16 नक्सलियों को ढेर कर दिया था. इस ऑपरेशन के बाद से माओवादी संगठन लगातार दबाव में हैं और आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं. इससे पहले, नारायणपुर में भी 11 नक्सलियों ने आत्म-समर्पण किया था.

सरेेंडर करने वाले में एसडीके एरिया कमेटी की एसीएम (एक्शन टीम मेंबर) मंजुला उर्फ लखमी और बरगढ़ एरिया कमेटी सदस्य सुनीता उर्फ जुनकी शामिल हैं. तीनों नक्सली हत्या, लूट, पुलिस पर हमले और जबरन वसूली जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त थे.

सरकार की नीति या पुलिस का दबाव?

विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा बलों की सख्ती और सरकार की पुनर्वास नीति के चलते नक्सली अब हथियार डाल रहे हैं. लगातार हो रहे बड़े ऑपरेशन और पुलिस की मजबूत रणनीति के कारण माओवादी संगठनों की कमर टूटती नजर आ रही है. इससे उनके खाने-पीने की समस्या भी बड़ी वजह है.

क्या नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू हो गई है?

विश्लेषकों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में हो रहे लगातार नक्सली आत्मसमर्पण से संकेत मिलता है कि नक्सली संगठन अब अपनी पकड़ खो रहे हैं. हाल के ऑपरेशनों के बाद उनके लिए जंगलों में छिपकर काम करना मुश्किल हो गया है. अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में और कितने नक्सली हथियार डालते हैं या पुलिस की गोलियों का शिकार बनते हैं!

20 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ पुलिस व सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन में 16 नक्सलियों को ढेर कर दिया था. इसके बाद से माओवादी संगठन लगातार दबाव में हैं और आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं. इससे पहले, नारायणपुर में भी 11 नक्सलियों ने आत्म-समर्पण किया था.

मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त होगा छत्तीसगढ़ 

गौरतलब है छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य के संयुक्त ऑपरेशन में लगातार नक्सलियों पर प्रहार किया जा रहा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 में छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने  की तारीख तय की है. लगातार नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षाबलों के कार्रवाई से नक्सलियों की हौंसले पस्त हैं, जिसका नतीजा है कि नक्सली लगातार सरेंडर कर रहे हैं. 

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