छतरपुर जिले में शिक्षा विभाग की पोल खोलती कुछ तस्वीरें सामने आईं हैं. इन तस्वीरों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दूरदराज के इलाकों में शिक्षा विभाग को कोई देखने वाला नहीं है. क्योंकि यह मामला एक स्कूल का नहीं है, लगभग छतरपुर जिले के दूरदराज के सभी स्कूलों में यही हाल है. आप किसी भी स्कूल में जाएंगे या तो स्कूल में टीचर नहीं हैं और टीचर हैं तो मध्याह्न भोजन मीनू के अनुसार नहीं बन रहा है. नौगांव विधानसभा क्षेत्र में आज मुख्यमंत्री आने वाले हैं और अधिकारी लगभग इसी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं.
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बर्तन धोने को मजबूर बच्चे
नौगॉव शिक्षा केन्द्र अंतर्गत आने वाले माध्यमिक प्राथमिक शालाओं में बच्चे बर्तन धोने को मजबूर हैं. इन शालाओं के बच्चों को भोजन करने के बाद बर्तन धोने पड़ते हैं. शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मध्याह्न भोजन देने के तौर तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं. नौगॉव जन शिक्षा केन्द्र के अंतगर्त आने वाले इन शालाओं में मध्याह्न भोजन ग्रहण करने के बाद बच्चों को बर्तन धोने पड़ रहे हैं. बर्तन धोने के दौरान बच्चों के कपड़े भी खराब हो जाते हैं. तस्वीरों में देख सकते हैं कि बच्चे किस तरह मिट्टी से बर्तन साफ कर रहे हैं.
हरपालपुर से सटे गांवो की सरसेड़, काकुनपुरा, कराठा, रानीपुरा, मवइया, पापटुआ की शालाओं में बच्चों को अपने खाने के बर्तन खुद साफ करने पड़ रहे हैं. वहीं, स्कूल के छात्रों का कहना है कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब उन्हें बर्तन साफ करने पड़ रहे हैं. बल्कि वह जब से स्कूल में पढ़ रहे हैं, तभी से उन्हें अपने खाने के बर्तन स्कूल में धोने पड़ रहे हैं.
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लापरवाही के शिकार स्कूल के बच्चे
शासकीय स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें अपने बर्तन खुद ही धोने पड़ते हैं. इस बारे में बात करने के लिए जब नौगॉव जन शिक्षा केन्द्र प्रभारी अनुराग खरे को उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.