
Anju Yadav Success Story: हमसफर से जुदा होकर हर कोई टूटकर बिखकर जाता है, मगर अंजू यादव को यह मंजूर नहीं था. उसने हिम्मत नहीं हारी और अलगाव को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया. किताबों से दुबारा दोस्ती की. खुद पर पूरा भरोसा रखा. नतीजा-सितंबर 2025 में आयोजित पासिंंगआउट परेड में अंजू यादव राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) बनी हैं.
संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिसाल अंजू यादव की जिंदगानी और सक्सेस स्टोरी पर तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश को गर्व हो रहा है. पुलिस अफसर बनने के साथ-साथ ये उन बहू-बेटियों के लिए भी प्रेरणा बन गई हैं, जो पढ़ी-लिखी होने के बावजूद शादी के बाद खुद को चूल्हा-चौका तक ही सीमित कर लेती हैं.

अंजू यादव की चार सरकारी नौकरी
- साल 2016 में जवाहर नवोदय स्कूल भिंड मध्य प्रदेश में टीचर
- साल 2018 में राजस्थान के जीतावाला के सरकारी स्कूल में टीचर
- साल 2019 में दिल्ली के महिपालपुर के सरकारी स्कूल में टीचर
- राजस्थान में साल 2024 बैच की आरपीएस अधिकारी
सरकारी स्कूल-कॉलेज से की पढ़ाई
अंजू यादव का जन्म साल 1988 में हरियाणा के नारनौल के गांव धौलेड़ा में किसान लालाराम यादव व सुशीला देवी के घर हुआ है. लालाराम किसान हैं. परचून की दुकान भी चलाते हैं. अंजू ने 12वीं तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की और बीए की डिग्री सरकारी कॉलेज से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की.

बहरोड़ में हुई शादी, बेटा मायके में पला
बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2009 में अंजू यादव की शादी राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ (अब बहरोड़-कोटपूतली जिला) के गांव गंडाला के नित्यानंद के साथ हुई. साल 2012 में बेटा मुकुलदीप जन्मा और उसी साल अंजू को लगा कि उसे अपने बेटे और ख़ुद का पालन पोषण ख़ुद करना पड़ेगा. ससुराल वाले सपोर्ट नहीं कर रहे थे. अंजू ससुराल से अपने मायके चली आई और फिर बेटा मायके में ही पला-बढ़ा. अंजू के माता-पिता ने उसके बेटे को पाला.
2014 में फिर से पढ़ाई शुरू की
अंजू ने बताया कि वो चार बहनों में सबसे बड़ी हैं. अंजू व मंजू की शादी एक साथ हुई थी. मंजू धारूहेड़ा की एक निजी कंपनी में काम करती हैं. जबकि तीसरे नंबर की बहन संजू प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. चौथे नंबर की रंजू जयपुर में निजी कंपनी में काम करती है. साल 2012 में अंजू ससुराल से आकर मायके में रहने लगी था. तब संजू जयपुर के हॉस्टल में रहकर पढाई कर रही थी. अंजू भी उसी के पास जयपुर चली गईं और आगे की पढाई व द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी करने लगीं.

पहली बार मध्य प्रदेश में लगी नौकरी
जयपुर में रहकर तैयारी करने के बाद अंजू की साल 2016 में पहली बार केंद्र सरकार की नौकरी लगी. मध्य प्रदेश के भिंड के जवाहर नवोदय स्कूल में अंग्रेजी की टीचर बनीं. भिंड में अंजू ने दो साल पढ़ाया. उसके बाद राजस्थान व दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बतौर शिक्षिका चयन होने पर भिंड छोड़ना पड़ा. ये तीनों सरकारी नौकरी अंजू ने मायके में रहते हुए हासिल की.

साल 2021 में पति की मौत
अंजू यादव की साल 2012 के बाद ससुराल वापसी नहीं हुई. ना तलाक हुआ. साल 2021 में पति नित्यानंद का बीमारी की वजह से निधन हो गया. पति की मौत के सिर्फ 12 दिन बाद ही अंजू ने हिम्मत जुटाकर राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021 का फॉर्म भरा और दिल्ली में रहकर तैयारी की. 2021 की भर्ती का रिज़ल्ट साल 2023 में आया और अंजू ने विधवा कोटे से 1725वीं रैंक हासिल करते हुए 2024 बैच की राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) में DSP का पद पाया। अंजू यादव कहती हैं कि खाकी वर्दी उनका सपना था, जो अब पूरा हो गया है। इसी के जरिये वे समाज की सेवा करेंगी और न्याय दिलाने की उम्मीदों पर खरी उतरेंगी।

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