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This Article is From Aug 14, 2023

नम्बी जलप्रपात: बस्तर में पहली बार नक्सलियों के गढ़ में बेखौफ घूमे टूरिस्ट

पिछले कुछ महीनों तक यहां ना सड़कें थीं और ना ही सुरक्षा बल के कैंप. नतीजतन यह इलाका माओवादियों के प्रभाव में था. पुलिस और प्रशासन की पहल से अब सैलानी आने लगे. हालांकि सड़कें अब भी कच्ची हैं.

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नम्बी जलप्रपात: बस्तर में पहली बार नक्सलियों के गढ़ में बेखौफ घूमे टूरिस्ट

बस्तर का नाम सुनते ही जेहन में डर, खौफ आने लगता है. ऐसा लगता है कि वहां माओवादी जंगलों में छिपे हुए हैं. हालांकि, समय के साथ बस्तर बदल चुका है. अब यहां लोग आसानी से आवागमन कर सकते हैं. बस्तर को माओवादियों का गढ़ कहा जाता है. ऐसे में ये पहचान खत्म हो रही है. अब यहां पर्यटक बेखौफ होकर यहां के प्राकृतिक नजारों का दर्शन कर रहे हैं. नंबी जलप्रपात पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है. यहां सैलानी अपने परिजनों के साथ समय बिता रहे हैं. पिकनिक मना रहे हैं.

सहूलियत के लिए नंबी गांव के युवाओं ने समिति भी बनाई है. बतौर प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 100 रूपए निर्धारित है. रविवार को साप्ताहिक अवकाश का दिन होने से डेढ़ सौ से ज्यादा सैलानी जलप्रपात में जुटे थे. पहली मर्तबा कि जब बीजापुर के उसूर ब्लाक के सबसे संवेदनशील नंबी गांव में बेझिझक, बैखौफ सैलानियों ने आमद दर्ज कराई. 

पिछले कुछ महीनों तक यहां ना सड़कें थीं और ना ही सुरक्षा बल के कैंप. नतीजतन यह इलाका माओवादियों के प्रभाव में था. पुलिस और प्रशासन की पहल से अब सैलानी आने लगे. हालांकि सड़कें अब भी कच्ची हैं.
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गांव से लगभग ढाई किमी के ट्रैक में जलप्रपात तक पहुंचने छोटे-बड़े पत्थर, चट्टान और जंगली बेल, बांस के झुरमुट से होकर जलप्रपात के नीचे पहुंचा जा सकता है. समिति की तरफ से  ट्रैक से पहले प्रवेश शुल्क की पर्ची काटी जा रही है. कुछ दूर तक बाइक से पहुंचने के पश्चात बाइक पार्किंग के लिए व्यवस्था है. बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर नंबी जलप्रपात है. नंबी गांव तक पहुंचने बीजापुर से आवापल्ली फिर उसूर और गलगम को पार करने के बाद नंबी गांव पहुंच सकते हैं.

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साल 2015 में नंबी जलप्रपात की पहली तस्वीर सामने आई थी. स्थानीय पत्रकार यूकेश चंद्राकर ने जलप्रपात की तस्वीर बाहर लाई थी. यूकेश के मुताबिक नंबी की रिर्पोटिंग जोखिम भरी थी. नंबी को शूट कर लौटते वक्त गलगम के नजदीक ही इनका सामना माओवादियों से हुआ था. आठ वर्षों तक माओवादियों के भय से सैलानी चाहकर भी जलप्रपात का दीदार नहीं कर पा रहे थे. पहली मर्तबा जब सड़क खुली और सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से इलाके में जैसे ही नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ तो प्रकृति प्रेमी खुद को रोक नहीं पाए.

लगभग 300 फीट की उंचाई से गिरता पानी जलप्रपात का रूप लेता है. इसकी उंचाई ही इसे बस्तर के अन्य जलप्रपातों से अलग बनाती है. उंचाई की वजह से ही नंबी को बस्तर के अन्य जलप्रपातों के मुकाबले सबसे उंचा जलप्रपात बताया जा रहा है. बहरहाल नंबी में सैलानियों की बैखौफ इंट्री से यहां पर्यटन की संभावनाओं को काफी बल मिला है. बीजापुर जिले में नंबी के अलावा नीलम सरई, लंका, बोडकम सरई जलप्रपात भी मौजूद है.

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