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    बनारसी गालियों में है भारत का असली लोकतंत्र

    गालियाँ- मन पर हिंसा करने का ब्रम्हास्त्र है. गालियाँ- यानि शब्दों का वह संसार जो प्रचलित सामाजिक मूल्यों और नैतिकताओं से बाहर है. गालियों की समाज के भीतर अपनी अलग नैतिकता है. यह नैतिकता समाज की अस्वीकृत नैतिकता है. गालियाँ इन अस्वीकृत नैतिकता की बौछाड़ है. भारतीय राजनीति में ऐसी अस्वीकृत नैतिकता के प्रयोग का आरोप पक्ष विपक्ष एक दूसरे पर लगाते ही रहते हैं. और इन आरोपों की भयंकर भरमार है. मन अब ऐसी अस्वीकृत नैतिकता के प्रति सादर भाव भी रखने लगा है.

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