Madhya Pradesh Assembly Election 2023:प्रह्लाद पटेल नरेन्द्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) में तीन विभागों के मंत्री हैं. वे जलशक्ति और खाद्य प्रसंस्करण विभाग में राज्यमंत्री और संस्कृति विभाग में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री हैं. मतलब वे केन्द्र में अहम जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं लेकिन उनके सियासी कद का पता सिर्फ इन मंत्रालयों से ही नहीं चलता. वे मध्यप्रदेश में बीजेपी के उन चंद नेताओं में शामिल हैं जो चार-चार लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं. पांच बार के सांसद प्रह्लाद पटेल ने सिवनी,बालाघाट,छिंदवाड़ा और दमोह (Seoni, Balaghat, Chhindwara and Damoh) से लोकसभा का चुनाव लड़ा है.छिंदवाड़ा में उन्हें कमलनाथ (Kamalnath) के हाथों करीबी हार मिली पर बाकी दूसरी सीटों पर उन्होंने शानदार जीत दर्ज की है.फिलहाल लोकसभा में वे दमोह सीट (Damoh Lok Sabha seat) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
वैसे प्रह्लाद पटेल की शख्सियत जितनी सियासी है उतनी ही आध्यात्मिक भी है. एक समय था जब वो साधु-संतों की तरह दाढ़ी और वेषभूषा रखते थे. वे श्री श्री बाबा श्री के भक्त हैं. उनके निर्देश पर उन्होंने दूसरी बार साल 2005 के फरवरी माह में नरसिंहपुर के गोटेगांव के पास मुआर घाट से मां नर्मदा परिक्रमा (Narmada Parikrama) शुरू की थी. इस सफर में उनकी पत्नी भी साथ थीं. वे धुन के इतने धनी हैं कि गर्मी के मौसम में भी नर्मदा की परिक्रमा को अनवरत जारी रखी. 3,500 किलोमीटर की ये यात्रा पूरी करने में उन्हें 3 माह 11 दिन का वक्त लगा. इससे पहले वे 1994-96 में भी नर्मदा की पैदल परिक्रमा कर चुके हैं.
इन सबसे पहले साल 1997 में जब जबलपुर में भूकंप आया था तब भी वो और उनकी टीम ने जो राहत कार्य चलाया था उसकी चर्चा अब भी होती है. इस दौरान उन्होंने कहा था- सेवा अहसान नहीं होती. उनकी टीम ने कोसम घाट को एक तरह से गोद लिया और पूरे गांव का फिर से निर्माण करवाया. यही वजह है कि भूकंप की 25वीं सालगिरह पर कोसम घाट के रहवासियों ने प्रहलाद पटेल को खास तौर पर सम्मानित किया था. इसके बाद प्रह्लाद पटेल ने 1999 के उत्तराखंड चमोली के भीषण भूकंप में भी पीड़ितों की सहायता के लिए कारसेवा की थी. इसके अलावा बालासागर के विस्तापितों के लिए वो उनके भाई जालम सिंह पटेल (Jalam Singh Patel) की टीम ने डेढ़ सौ से ज्यादा अस्थाई घरों का निर्माण करवाया.
प्रह्लाद पटेल वैसे तो लोधी ठाकुर जाति से संबंध रखते हैं पर उनकी स्वीकार्यता व्यापक है. उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1982 में बालाघाट के भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष के तौर पर की. इसके बाद वे लगातार सियासी सीढ़ियां चढ़ते गए. 1989 में बालाघाट से ही पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद वे 1996 और 1999 में भी बालाघाट से औऱ 2014 में दमोह से जीतकर लोकसभा पहुंचे. 2019 के आम चुनाव में भी उन्होंने दमोह सीट से ही जीत दर्ज की. अपने सियासी सफर के दौरान वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला मंत्री और अब मोदी सरकार में तीन-तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वे मध्यप्रदेश के इकलौते नेता हैं जिन्होंने चार लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा है. अब वे पहली बार नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव के अखाड़े में उतरे हैं.
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