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This Article is From Nov 16, 2023

MP Election 2023: 2018 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच .1 % मतों का था अंतर, महाकौशल में बंपर वोटिंग

देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे. कमलनाथ के 18 महीनों के कार्यकाल को छोड़ दें तो सूबे में 18 सालों से शिवराज सिंह चौहान सत्ता पर कायम हैं. ऐसे में ये जानना दिलचस्प होगा कि साल 2018 के चुनाव यानी पिछले चुनाव में मतदान और परिणाम के आंकड़े क्या थे?

MP Election 2023: 2018 में बीजेपी-कांग्रेस के बीच .1 % मतों का था अंतर, महाकौशल में बंपर वोटिंग

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे. कमलनाथ के 18 महीनों के कार्यकाल को छोड़ दें तो सूबे में 18 सालों से शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) सत्ता पर कायम हैं. 'मामा' के नाम से मशहूर शिवराज के सामने सत्ता में वापसी की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस की ओर से CM पद के चेहरे कमलनाथ (Kamalnath) के सामने कांग्रेस को फिर से सत्ता में वापस लाने का चैलेंज है. कांग्रेस को एंटी इन्कंबेंसी (Anti Incumbency) और लुभावने वादों का सहारा है तो बीजेपी नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के चेहरे और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं पर भरोसा कर रही है. ऐसे में पिछले चुनाव यानी 2018 के चुनाव परिणामों पर एक नजर डालना जरूरी हो जाता है. जिसमें हम ये जानेंगे कि किस इलाके में कितनी वोटिंग हुई थी? 2018 में कितने उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे और किस-किस की झोली में कितने फीसदी वोट गिरे थे? 
सबसे पहले बात मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक अंचलों की करते हैं. सवाल है कि इन अंचलों में कितने मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.साल 2018 के चुनाव में मतदान करने में महाकौशल का इलाका नंबर वन पर रहा तो चंबल का इलाका सबसे निचले पायदान पर रहा. महाकौशल में 2018 में जहां 80 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं चंबल इलाके में 69.7 जनता ने मतदान किया था. 

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 अब बात चुनाव परिणामों की भी कर लेते हैं. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 2899 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. जिसमें निर्दलीयों की संख्या 1094 थी. तब 230 सीटों पर 75.6 फीसदी वोटिंग हुई थी. कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं और बीजेपी की झोली में 109 सीटें आईं थीं. अहम ये है कि मत प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को कांग्रेस से कुछ ज्यादा वोट मिले थे. बीजेपी को तब 41 फीसदी और कांग्रेस 40.9 फीसदी वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बीएसपी रही थी,जिसमें 227 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2 सीटें जीती थीं. बीएसपी के खाते में 5 फीसदी मत आए थे. अखिलेश की समाजवादी पार्टी को भी तब 1.3 फीसदी मत मिले थे. सपा ने तब 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.  

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साल 2023 के चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.  वहीं समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी भी अकेले मैदान में हैं. अब देखना ये है कि 3 दिसंबर को जो चुनाव परिणाम आएंगे वो 2018 में आए नतीजों से कितना अलग होंगे. 

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