MP Aseembly election 2023: हाल ही में नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Nari Shakti Vandan Act) सर्वसम्मति से संसद में पास हुआ. विपक्ष ने इसका समर्थन तो किया लेकिन साथ में ऐतराज जताते हुए ये भी पूछा कि इसे फौरन लागू क्यों नहीं किया जा रहा है. कांग्रेस ने इसमें ओबीसी नुमाइंदगी (OBC representation) का मुद्दा जोड़ा और खुद राहुल गांधी (Rahul Gandhi)अब पूरे देश में यह कहते नजर आ रहे हैं कि कांग्रेस की जहां-जहां सरकार आएगी वहां जातीय जनगणना (caste census) कराई जाएगी. कांग्रेस नेता जगह-जगह ओबीसी समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की बात कर रही है तो बीजेपी कह रही है कि ओबीसी समुदाय (OBC community) की सबसे ज्यादा चिंता उसी ने की है. सुनने में ये बातें अच्छी लग सकती हैं लेकिन क्या हकीकत में वाकई ऐसा ही हो रहा है? मध्यप्रदेश के संदर्भ में ये सवाल मौंजू इसलिए भी है क्योंकि यहां दोनों दलों ने करीब-करीब सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के लिये 229 तो बीजेपी ने 228 नामों का ऐलान कर दिया है. ऐसे में ये जान लेना दिलचस्प होगा कि महिला और ओबीसी समुदाय को दोनों दलों ने कितनी नुमाइंदगी दी है.
ये हालत तब है जबकि राज्य में ओबीसी की आबादी 48 फीसदी से अधिक है. बीजेपी के राज्य मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कहते हैं कि वीमेन एम्पावरमेंट को हमें बड़े पर्दे पर देखना चाहिए आज़ादी के 75 साल बाद इस देश की लगभग जो आधी आबादी होती है उसको 33 प्रतिशत टिकट का आरक्षण BJP ने दिया है.मध्य प्रदेश में हमने लाड़ली लक्ष्मी से लाड़ली बहना जैसे कार्यक्रम चलाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल खड़ी की है. उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी आएगा कि महिलाओं को पचास प्रतिशत तक टिकट दिए जाएंगे.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज का कहना है कि हमने हमेशा ही बीजेपी से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया है. साल 2018 में भी ऐसा ही था और इस बार भी. इसके अलावा जहाँ जहाँ संभावना बनी हमने OBC समुदाय को टिकट दिया है. ये लोग कहते हैं कि हमने प्रदेश को चार बार OBC मुख्यमंत्री दिया. लेकिन सवाल ये है कि बीजेपी के शासन में OBC समुदाय कहां खड़ा है. अब जाति जनगणना हो जाए तो इस समुदाय को सही प्रतिनिधित्व मिल सकता है. कुल मिलाकर दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं.