
Assemblyelection2023 : छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव (CG Assembly Election 2023) में कांग्रेस (Congress) पार्टी और उसके मुख्यमंत्री (Chief Minister Bhupesh Baghel) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों जैसे ईडी (ED) पर जमकार हमला बोल रहे हैं. आरोप की कड़ी में सीएम भूपेश बघेल ने जहां एक बड़ी साजिश की आशंका जताई है वहीं उन्होंने राजस्थान (Rajasthan ED Officer Trapped)में पकड़े गए ED अधिकारी के मामले में इस एजेंसी पर भी उंगली उठाई है.
पहले जानिए साजिश क्या है?
सीएम भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया (Social Media) हैंडल से एक पोस्ट करते हुए लिखा है कि "बड़ी साजिश?
निर्वाचन आयोग (Election Commission) से अनुरोध है कि जितने भी स्पेशल प्लेन (Special Plane) छत्तीसगढ़ में उतर रहे हैं, सबकी जाँच की जाए. आखिर बक्सों में भरकर क्या आ रहा है? छापों के नाम पर आ रही ED और CRPF के वाहनों की भी जाँच की जाए. प्रदेश के लोगों को आशंका है कि चुनाव हारता देख भाजपा भर-भरकर रुपया ला रही है."
राजस्थान में पकड़ाए गए ED अधिकारी पर क्या कहा?
कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि "राजस्थान में ED के अधिकारी घूस लेते पकड़े गए. राजस्थान के एंटी करप्शन ब्यूरो ने ED अधिकारी नवल किशोर मीणा और उसके सहयोगी बाबूलाल मीणा को गिरफ्तार किया है. ये दोनों 15 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए. ये ED से जुड़े एक मामले को रफा-दफा करने के लिए 17 लाख की घूस मांग रहे थे."
"कहीं ये "कमल छाप के स्टार प्रचारक" बनकर तो नहीं घूम रहे हैं?"
CM भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक प्रेस नोट शेयर करते हुए लिखा है कि "जयपुर में ED का अफसर 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ़्तार हुआ है. इसीलिए मैं बार-बार कह रहा हूँ कि गलियों-गलियों में घूम रहे इन ED अफ़सरों की गाड़ी की जरूर जाँच की जाए. छापों की आड़ में कहीं ये "कमल छाप के स्टार प्रचारक" बनकर तो नहीं घूम रहे हैं? "
जयपुर में ED का अफसर 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ़्तार हुआ है.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 2, 2023
इसीलिए मैं बार-बार कह रहा हूँ कि गलियों-गलियों में घूम रहे इन ED अफ़सरों की गाड़ी की जरूर जाँच की जाए.
छापों की आड़ में कहीं ये "कमल छाप के स्टार प्रचारक" बनकर तो नहीं घूम रहे हैं? pic.twitter.com/onYLMxFX8o
यह भी पढ़ें : पोस्टर से टोपी तक...प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानों को क्यों चुनावों में उठाना पड़ रहा नुकसान?