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MP Election Result 2023 : इन 10 सीटों पर बागियों ने खूब काटा था बवाल, जानिए क्या रहा इनका हाल? 

इस बार अलोट से बीजेपी के चिंतामणि मालवीय को जीत मिली, उनके पक्ष में 106762 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुड्डू दूसरे पायदान (37878 वोट) पर रहे. वहीं कांग्रेस तीसरे नंबर (33565 वोट) पर रही. 

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MP Election Result 2023 : इन 10 सीटों पर बागियों ने खूब काटा था बवाल, जानिए क्या रहा इनका हाल? 

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 Result : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट कटने और टिकट बंटने को लेकर जमकर बवाल हुआ था. कुर्ता-फाड़ राजनीति से लेकर आंसुओं के सैलाब तक देखने को मिले थे. कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) दोनों ही पार्टी में बगावत के सुर प्रदेश भर में कई विधानसभा सीटों पर देखने को मिले थे. किसी ने अपनी पार्टी का हाथ छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया था तो कोई ‘बेसहारा' निर्दलीय ही चुनावी मैदान पर कूद गया. आज मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के चुनावी परिणामों का पिटारा खुल चुका है. आइए जानते हैं प्रदेश में बागियों की सीट का क्या हाल रहा? 


1. महू विधानसभा क्षेत्र, इंदौर

मालवा क्षेत्र के इंदौर जिले में डॉक्टर अंबेडकर नगर - महू विधानसभा क्षेत्र है. चुनावी महौल में महू से कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देकर ‘हाथ' का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद उन्होंने बागी रवैया अपनाते हुए निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया था. अंबेडकर नगर - महू विधानसभा क्षेत्र से मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर भारतीय जनता पार्टी की ओर से चुनावी मैदान पर थी, जबकि उनके खिलाफ कांग्रेस ने रामकिशोर शुक्ला को टिकट दिया है. रामकिशोर शुक्ला पहले बीजेपी में ही थे, कुछ महीने पहले ही वे कांग्रेस में शामिल हुए हैं. ऐसे में उषा ठाकुर को वह कड़ी टक्कर दे सकते हैं. वहीं इस सीट से टिकट कटने से नाराज विधायक अंतर सिंह दरबार इस बार निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक रहे थे.

इस बार यहां से ऊषा ठाकुर (102989 वोट) फिर से चुनाव जीत गई हैं. जबकि कांग्रेस के बागी अंतर सिंह दरबार (68597 वोट) दूसरे स्थान पर रहे. वहीं कांग्रेस (29144 वोट) तीसरे स्थान पर रही. यानी कांग्रेस को झटका मिला.

पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 2 लाख 45 हजार 364 मतदाता थे, जिन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी उषा ठाकुर को 97 हजार 9 वोट देकर जिताया था. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अंतर सिंह दरबार को 89 हजार 852 वोट हासिल हो सके थे और वह 7157 वोटों से हार गए थे.

2. सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र, नर्मदापुरम

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा विधानसभा सीट पर भी बागी मैदान पर हैं. यहां कांग्रेस के पूर्व विधायक ओमप्रकाश रघुवंशी टिकट वितरण से नाराज चल रहे थे, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस बार सिवनी मालवा सीट पर बीजेपी की तरफ से प्रेमशंकर वर्मा हैं, जबकि कांग्रेस ने अजय बलराम पटेल को मैदान पर उतारा है. वहीं कांग्रेस के बागी नेता ओमप्रकाश हजारीलाल रघुवंशी निर्दलीय हैं.

इस बार के चुनाव परिणाम को देखें तो बीजेपी के प्रेमशंकर वर्मा को एक लाख से ज्यादा वोट मिले. वहीं कांग्रेस को 67 हजार 800 से अधिक वोट मिले. जबकि कांग्रेस के बागी नेता ओमप्रकाश हजारीलाल रघुवंशी को 18800 से ज्यादा वोट मिले. 

वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 22 हजार 992 मतदाता थे, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा (बागवाड़ा) को 88 हजार 22 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार ओमप्रकाश हजारीलाल रघुवंशी को 76 हजार 418 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 11 हजार 604 वोटों से चुनाव हार गए थे. इस सीट पर 1990 में हजारी लाल रघुवंशी के बेटे ओमप्रकाश को हराकर भाजपा को पहली बार जीत दिलाई थी.

3. आलोट विधानसभा सीट, रतलाम

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में अलोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने विधायक मनोज चावला को दूसरी बार टिकट देकर मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय को टिकट दिया है. वहीं इन दोनों के बीच कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुड्डू (Premchand Guddu) भी मैदान में हैं. इस सीट से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू पहले से ही अपनी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने एक बार फिर टिकट देते हुए मनोज चावला पर भरोसा जताया. इस बात से नाराज होकर प्रेमचंद गुड्डू ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय फॉर्म भरा था. 

इस बार अलोट से बीजेपी के चिंतामणि मालवीय को जीत मिली, उनके पक्ष में 106762 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुड्डू दूसरे पायदान (37878 वोट) पर रहे. वहीं कांग्रेस तीसरे नंबर (33565 वोट) पर रही. 


रतलाम की आलोट विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे प्रेमचंद गुड्डू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई थी. बता दें कि 2018 में विधानसभा चुनाव के समय प्रेमचंद गुड्डू बेटे अजीत बौसारी सहित कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे. उसके बाद 2020 में फिर कांग्रेस का ‘हाथ' थाम लिया था.


पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 1 लाख 97 हजार 966 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज चावला को 80 हजार 821 वोट देकर जिताया था. उधर, बीजेपी उम्मीदवार जितेंद्र थावरचंद गहलोत को 75 हजार 373 वोट हासिल हो सके थे, और वह 5448 वोटों से हार गए थे.


4. गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र, नरसिंहपुर

कांग्रेस पार्टी ने इस बार के चुनावन के लिए जब अपनी पहली लिस्ट जारी की थी तब उसमें गोटेगांव विधानसभा से शेखर चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया था. इसके बाद दूसरी लिस्ट में कांग्रेस ने शेखर चौधरी के बदले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपना प्रत्याशी बना दिया. इससे नाराज होकर शेखर ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया. वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित जिले की इस एकमात्र सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक नए चेहरे महेन्द्र नागेश पर दांव लगाया है. गोटेगांव से चार बार विधायक रहे प्रजापति की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कांग्रेस के बागी उम्मीदवार और पूर्व विधायक शेखर चौधरी माना जा रहा था.

इस बार अलोट से बीजेपी के महेन्द्र नागेश को जीत मिली, उनके पक्ष में 91737 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के एनपी प्रजापति को 43949 वोट हासिल हुए. वहीं बागी शेखर चौधरी तीसरे पायदान (36018 वोट) पर रहे.

वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 1 लाख 96 हजार 411 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एनपी प्रजापति) को 79 हजार 289 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी. जबकि बीजेपी उम्मीदवार डॉ. कैलाश जाटव को 66 हजार 706 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था और वह 12 हजार 583 वोटों से चुनाव हार गए थे.

5. भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र, भोपाल

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की उत्तर सीट से इस बार यहां के विधायक आरिफ अकील की बजाय उनके बेटे आतिफ अकील को कांग्रेस ने टिकट दिया. जबकि बीजेपी ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा पर दांव लगाया. आलोक शर्मा 2003 में भी चुनाव लड़ चुके हैं, उस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. जबकि आतिफ के साथ दिक्कत बागियों से हैं. यहां पर उनके चाचा आमिर अकील बागी हैं. साथ ही कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार नासिर इस्लाम भी चुनाव मैदान में उतरकर आतिफ का नुकसान पहुंचा रहे हैं.


भोपाल उत्तर सीट पर कांग्रेस में बड़ी बगावत देखने को मिली थी, यहां के दिग्गज विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर अकील भतीजे आतिफ अकील के सामने हैं. इससे भोपाल उत्तर सीट पर खानदान की लड़ाई खुलकर सामने आ गई. इस बार आरिफ ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने मना कर दिया था. 25 साल से कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट से उनके चाचा आमिर अकील भी दावेदारी कर रहे थे.

यहां बगावत ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा पायी. एक बार फिर कांग्रेस ने यहां बाजी मारी है. आतिफ अकील को 96125 वोट मिले, जबकि बीजेपी के आलोक शर्मा को 69138 वोट मिले. वहीं बागी आमिर को महज 1837 वोट ही मिले.

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 34 हजार 489 मतदाता थे, इन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ अकील को 90 हजार 403 वोट देकर विधायक बना दिया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार फातिमा रसूल सिद्दीकी (गुड़िया) को 55 हजार 546 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और उन्हें 34 हजार 857 वोटों से चुनावी हार मिली थी.

6. बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र, बुरहानपुर

भारतीय जनता पार्टी के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान (नंदू भैया) के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान (Harshvardhan Singh Chauhan) ने पार्टी से बगावत करते हुए बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए चुनावी मैदान पर उतरे थे. हर्षवर्धन ने इसी सीट से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट न देते हुए पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को टिकट दे दी थी. इसके बाद ही हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इस बार बुरहानपुर सीट से जहां बीजेपी की ओर से अर्चना चिटनिस चुनावी रण में दिख रही हैं वहीं कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह शेरा का टिकट दिया है. शेरा वर्तमान में बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक हैं. 

इस बार बुरहानपुर सीट से बीजेपी की अर्चना चिटनिस (100397) जीती हैं. कांग्रेस 69226 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. वहीं बागी हर्षवर्धन को 35435 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे.

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 85 हजार 533 मतदाता थे, और उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल सिंह "शेरा भैया" को 98 हजार 561 वोट देकर विधायक बनाया था, जबकि बीजेपी उम्मीदवार अर्चना दीदी को 93 हजार 441 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था.

7. निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र, निवाड़ी

मध्य प्रदेश की निवाड़ी विधानसभा सीट पर बागी प्रत्याशी मैदान पर थे. नंदराम कुशवाहा बीजेपी से दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री रहे हैं. लेकिन भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज हो गए थे और इस्तीफा देकर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए. निवाड़ी विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अमित राय को इस बार टिकट दिया वहीं, बीजेपी ने अनिल जैन को अपना उम्मीदवार बनाया. अमित हाल ही में बीजेपी जिला उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में आए हैं. वहीं अनिल वर्तमान विधायक हैं, 2008 में भाजपा की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए. लेकिन 2013 में विधानसभा पहुंचे थे.

इस बार निवाड़ी सीट से बीजेपी के अनिल जैन (54186) जीते हैं. कांग्रेस 37029 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. वहीं बागी नंदराम को 18827 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहे.

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 1 लाख 79 हजार  36 मतदाता थे, इन्होंने बीजेपी उम्मीदवार अनिल जैन को 49 हजार 738 वोट देकर विधायक बनाया था, जबकि सपा उम्मीदवार मीरा दीपक यादव को 40 हजार 901 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था.

8. टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र, टीकमगढ़

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की टीकमगढ़ सीट पर बगावत तब हुई जब इस बार बीजेपी की पांचवीं लिस्ट आयी. हुआ यह कि इस बार विधानसभा चुनाव के लिए टीकमगढ़ से केके श्रीवास्तव अपनी दावेदारी जता रहे थे, लेकिन पार्टी ने केके श्रीवास्तव की जगह राकेश गिरी को प्रत्याशी बनाया. 2018 में भी बीजेपी ने केके श्रीवास्तव का टिकट काटकर राकेश गिरी को प्रत्याशी बनाया था. जबकि 2013 में पार्टी ने केके श्रीवास्तव को टिकट दिया था और वह 17 हजार वोटों से चुनाव जीते थे. 2013 में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता यादवेंद्र सिंह बुंदेला को हराया था. इस बार जहां बीजेपी की ओर से राकेश गिरी हैं वहीं कांग्रेस की तरफ से यादवेंद्र सिंह हैं. जबकि केके श्रीवास्तव निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे हैं.

इस बार टीकमगढ़ सीट से कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह 17 राउंड तक 73268 वोट पाकर बीजेपी के राकेश गिरी (64989) से 8279 वोट आगे थे. 19 राउंड की गिनती के बाद आखिरी फैसला आएगा. वहीं बागी केके श्रीवास्तव 8 हजार से ज्यादा वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 2 लाख 882 मतदाता थे, जिन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी राकेश गिरि को 66 हजार 958 वोट देकर जिताया था. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार यादवेंद्र सिंह "जग्गू भैया" को 62 हजार 783 वोट हासिल हो सके थे, और वह 4175 वोटों से हार गए थे. केके श्रीवास्तव ने पांच साल पहले बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा पर टिकट वितरण में लेन-देन का आरोप लगाया था. तब उन्होंने कहा कि टीकमगढ़ के टिकट में करोड़ों का सौदा हुआ है.

9. सीधी विधानसभा क्षेत्र, सीधी

मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले पेशाब कांड की वजह से जमकर सियासत गरमा गई थी. आरोप लगे कि सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला के समर्थक ने एक आदिवासी पर पेशाब कर दिया. इस घटना का वीडियो जमकर वायरल हुआ, खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान पीड़ित के पैर धोए और सीएम हाउस में खाना खिलाया. इस मामले शांत होने के बाद बीजेपी ने सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला की जगह सांसद रीति पाठक को टिकट दिया. टिकट कटने के बाद केदारनाथ भावुक हुए और बीजेपी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनावी मैदान पर कूद गए. बता दें कि केदारनाथ शुक्ला लगातार तीन बार के बीजेपी विधायक हैं. इस बार सीधी विधानसभा सीट में कांग्रेस की तरफ से ज्ञान सिंह, बीजेपी की ओर से रीति पाठक और निर्दलीय उम्मीदवार केदारनाथ शुक्ला के बीच मुकाबला देखा गया.

इस बार सीधी सीट से बीजेपी की रीति पाठक 13 राउंड तक 61210  वोट पाकर कांग्रेस के ज्ञान सिंह (38418) से 22792 वोट आगे थीं. 19 राउंड की गिनती के बाद आखिरी फैसला आएगा. वहीं बागी केदारनाथ  9 हजार से ज्यादा वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 2 लाख 24 हजार 62 मतदाता थे, जिन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी केदारनाथ शुक्ला को 69 हजार 297 वोट देकर जिताया था. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर प्रसाद द्विवेदी को 49 हजार 311 वोट हासिल हो सके थे. 2013 और 2008 में भी बीजेपी से केदारनाथ शुक्ला को जीत मिली थी.

10. मैहर विधानसभा क्षेत्र, मैहर

मध्य प्रदेश की मैहर सीट पहले सतना जिले में आती थी, लेकिन चुनाव से ऐन वक्त पहले मैहर को नया जिले का दर्जा दे दिया गया है. लेकिन यहां बीजेपी के विधायक ने विंध्य प्रदेश की मांग करते हुए बगावत कर दी. इस सीट पर अभी तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होता था लेकिन मौजूदा बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने बगावत कर खुद की नई पार्टी विंध्य जनता पार्टी (VJP) बना दी है. बता दें कि नारायण त्रिपाठी लंबे समय से अलग विंध्य प्रदेश की मांग उठाते रहे हैं. इस बार मैहर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने श्रीकांत चतुर्वेदी को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने धर्मेश घई को टिकट दिया है. वहीं विंध्य जनता पार्टी से नारायण त्रिपाठी हैं.

इस बार मैहर सीट से बीजेपी के श्रीकांत 16 राउंड तक 73562 वोट पाकर कांग्रेस के धर्मेश से (53869) से 19693 वोट आगे थे. 17 राउंड की गिनती के बाद आखिरी फैसला आएगा. वहीं बागी नारायण त्रिपाठी 21 हजार से ज्यादा वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे.

वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 234434 मतदाता थे, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार नारायण त्रिपाठी को 54877 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार श्रीकांत चतुर्वेदी को 51893 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 2984 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इन 10 सीटों के अलावा अन्य सीटों पर भी बगावती उम्मीदवार मैदान थे. उनका हाल NDTV मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ की वेबसाइट (https://mpcg.ndtv.in/) पर आपको मिल जाएगा.

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