45 साल पुरानी है ईरान और इजरायल के हमले की कहानी, जानिए कैसे उठी थी 'चिंगारी'

Iran-Israel Attack News in Hindi : शनिवार को ईरान (Iran) ने इजराइ  ( Israel) पर ड्रोन हमला किया था. हमले के बाद से हालात और बिगड़ गए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन पूरे विवाद के पीछे दोनों देशों की दुश्मनी करीब 50 साल पुरानी दुश्मनी है.

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Iran Israel War News Today

Israel vs Iran : दुनिया के सबसे ताकतवर मिलिट्री देशों में ईरान 14 वें नंबर पर आता है... तो वहीं, इजरायल 17वें नंबर पर आता है. दोनों ही देशों के बीच लंबे समय से चल रहा संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा. बीते दिन यानी कि शनिवार को ईरान (Iran) ने इजराइ  ( Israel) पर ड्रोन हमला किया था. हमले के बाद से हालात और बिगड़ते नज़र आ रहे हैं.... लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन हमले के पीछे दोनों देशों की 50 साल पुरानी दुश्मनी है. जी हां, दोनों देशों में बीच चल रहे विवाद के तार 1979 की ईरानी क्रांति से जुड़े हुए हैं. बता दें कि साल 2023 में हमास ने इजरायल के शहरों पर हमला करना शुरू कर दिया था. उस समय तेल अवीव की तरफ से किए गए जवाबी हमलों की वजह से ग़ज़ा में भी युद्ध शुरू हो गया था. 

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, ईरान इस युद्ध में इजरायल के खिलाफ हिजबुल्लाह जैसे समूहों की सहायता कर रहा है. बीते दिन ईरान ने पहली बार खुद से इजराइल पर हवाई हमला किया. इसे लेकर ईरान की राजधानी तेहरान ने कहा कि अप्रैल की शुरुआत में इजरायल ने सीरिया के दमिश्क में संदिग्ध हमला किया था, जिसके जवाब में ये कार्रवाई की गई है. यही नहीं, इस स्थिति को लेकर ईरान का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि अब और तनाव नहीं बढ़ेगा, इस मामले को खत्म किया जा सकता है. बहरहाल, दोनों देशों के बीच के हालात को लेकर एक अहम सवाल ये उठता है कि ईरान और इजरायल के बीच के संबंध किन कारणों से बिगड़ते गए जो हालात युद्ध तक आ पहुंचें... इसे जानने के लिए हमें कुछ दशक पीछे जाना होगा.

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जानिए कैसे शुरू हुई थी कहानी? 

दरअसल, सन 1979 में जब  ईरानी क्रांति हुई थी.... तब ईरान में अमेरिका से जुड़े पहलवी राजवंश को जड़ से ख़त्म कर दिया गया था. तब ईरान में अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी की धार्मिक सत्ता आ गई थी. इस धार्मिक सत्ता व्यवस्था के आने के बाद खुमैनी ने अमेरिका को 'बड़े शैतान' का नाम दे दिया था. तभी से ईरान और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट शुरू हो गई. उस समय इजरायल की तरफ से ईरान के आखिरी सम्राट मोहम्मद रज़ा पहलवी का समर्थन करना भी खुमैनी को पसंद नहीं था.... साथ ही तब अमेरिका और इजरायल के संबंध समय अच्छे थे. ऐसे में खुमैनी ने इजरायल को 'छोटा शैतान' का नाम दे दिया. यही नहीं, खुमैनी ने ईरान की राजधानी तेहरान और तेल अवीव के बीच की तकरार के बीच ये भी आरोप लगाया कि इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को नाकाम करने की कोशिश की. 

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कैसे बदतर होने लगे हालात ? 

1980 के बाद ईरान की राजधानी और इजरायल के तेल अवीव, दोनों के बीच हमले हुए. लेकिन किसी ने भी हमलों की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया. दोनों शहरों के बीच सालों तक चले इस संघर्ष को "शेडो वार" का नाम दिया गया. इस "शेडो वार" यानी कि छाया युद्ध में दो इलाके मुख्य रूप से सामने आए. इसमें लेबनान और सीरिया के कुछ इलाके शामिल थे. तब ईरान ने ईरान हिजबुल्लाह का खूब समर्थन किया, हिजबुल्लाह वो ही समूह है जो लेबनान से इजराइल को निशाना बनाया. उस समय इजरायल ने सीरिया में कई हवाई किए थे... इसके बाद ईरान की राजधानी तेहरान ने सीरिया में उस देश के राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन शुरू कर दिया था.

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ये भी कहा जाता है कि इजरायल ने साल 1967 के युद्ध के बाद के एक इलाके पर कब्ज़ा जमा लिया था. इस इलाके का नाम गोलान हाइट्स है... और तेल अवीव आज भी इस जगह से सीरिया और लेबनान पर हमले करता है. बता दें कि 7 अक्टूबर 2023 में हमास ने इजरायल के कई शहरों पर एकाएक हमले किए. इस हमले में बहुत सारे लोगों की मौत हुई. तब 1200 से ज़्यादा लोग मारे गए और करीब 200 के आसपास लोगों को अगवा कर लिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, हमास की तरफ से किए हमले के बाद ईरान ने अपना हाथ होने से साफ़ इंकार कर दिया. लेकिन ये बात सामने आई कि इजरायल के शहरों पर हमले के लिए ईरान ने हमास के गुर्गों की सहायता की थी. 

कुछ दिन पहले ईरान के दूतवास पर हुआ था हमला 

इस हमले के जवाब में तेल अवीव ने भी लगातार हमले शुरू किए. तेल अवीव ने ग़ज़ा पट्टी पर हर तरफ से हमले किए थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो US का अनुमान है कि इजरायल की  तरफ से की गई जवाबी हमले में 33,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मौत के घाट उतर चुके हैं. इस महीने की शुरुआत में संदिग्ध विमानों की तरफ से सीरिया में ईरान के दूतावास पर हमले किए गए. युद्धक विमानों की तरफ से सीरिया में ईरान के दूतावास पर बमबारी के बाद ईरान की राजधानी ने कहा कि इस हमले में कुल 7 सैन्य सलाहकार की मौत हो गई. तो वहीं, सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद का भी बयान सामने आया. मंत्री फैसल मेकदाद ने कहा, "सीरिया की दमिश्क में हुए हमले में ईरानी दूतावास की इमारत पर बमबारी कर कई बेगुनाह मासूमों की जान ले गई...हम इस नृशंस आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं. वहीं, जब एक इजरायली  सैन्य प्रवक्ता से हमले के बारे में पूछा गया तो जवाब आया कि विदेशी मीडिया में मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. इस हमले के बाद हिजबुल्लाह ने कहा था कि जवाबी कार्रवाई की जाएगी और बगैर बदला लिए और  दुश्मन को सजा दिए ये गुनाह खत्म नहीं होगा. 

जानिए बीती रात क्या कुछ हुआ? 

ईरान की ओर से सीरिया में अपने सात सुरक्षा अधिकारियों की हत्या का बदला लेने के लिए शनिवार को इज़राइल की ओर दर्जनों ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च करने के बाद रविवार तड़के यरूशलेम में धमाके और हवाई हमले के सायरन बजने लगे. हालांकि, अभी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि इस हमले मे कितने लोग मारे गए या घायल हुए है. आपोक बता दें ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से चली आ रही ईरान-इजराइल की दशकों पुरानी दुश्मनी के बाद  इज़राइल पर ईरान का यह पहला सीधा सैन्य हमला है.  

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