Iran vs Israel: ईरान ने हिजबुल्लाह (Hizbullah) नेता हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) की मौत का बदला लेने के लिए मंगलवार रात इजरायल (Israel) पर करीब 180 मिसाइलें दागीं. इससे एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.पश्चिम एशिया (West Asia) में इजरायल और ईरान ( Iran vs Israel) की बादशाहत को लेकर अदावत पुरानी है, लेकिन ताजा हालात 7 अक्टूबर 2023 को हमास के लड़ाकों की ओर से गाजा पट्टी से इजरायल में घुसकर हमला करने के बाद बने हैं. हमास के इन हमलों में 1,200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोगों को बंदी बना लिया गया था.
इसके बाद इजरायल ने संगठित तौर पर अपने आसपास के सभी देशों और संगठनों पर हमला करके अपनी क्रूरता की सारी हदे पार करते हुए उन्हें नेस्तनाबूद करना शुरू कर दिया है. इजरायल ने जुलाई 2024 में हमास नेता इस्माइल हानिया को मौत की नींद सुला दिया था. इसके बाद पेजर अटैक से इजरायल ने हिजबुल्ला के लड़ाकों को निशाना बनाया. ताजा घटनाक्रम में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान काफी आक्रामक हो गया है. हालांकि, वह पहले भी कई मौकों पर इजरायल पर हमले कर चुका है.
बड़े परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है यह युद्ध
ऐसे में एक सवाल पैदा होता है कि इजरायल और ईरान व उसके समर्थित समूहों में लड़ाई कब तक चल सकती है? किन मुद्दों पर दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना बन सकती है, जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल्ल बख्शी ने इन सभी सवालों के जवाब दिए. आईएएनएस समाचार एजेंसी से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने वाला है, क्योंकि हाल ही में इजरायल ने लेबनान पर हमला किया. इसके बाद ईरान ने इसका जवाब दिया. इजरायल लेबनान में घुसपैठ कर रहा है. युद्ध की स्थिति बनती नजर आ रही है. इसके अलावा, ईरान के समर्थक समूह जैसे हिज्बुल्लाह, हमास और हूती अपने-अपने तरीके से खेल रहे हैं और इजरायल के समर्थकों पर हमले कर रहे हैं. इसके जवाब में, अमेरिकी और अन्य सहयोगी समुद्री बेड़े भी सक्रिय हो गए हैं. इस समय क्षेत्र कई हिस्सों में बंट चुका है. एक पक्ष इजरायल के समर्थन में है और दूसरा ईरान के. आश्चर्य की बात यह है कि कुछ पारंपरिक इस्लामी देश जैसे जॉर्डन और सऊदी अरब ने इजरायल की मदद की, जबकि इजरायल ने ईरान के भीतर हमला किया. क्षेत्र में बदलाव की बात पर उन्होंने कहा कि यह पूरा परिदृश्य अब एक बड़े परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है, लेकिन सीमा पर स्थिति बेहद संवेदनशील है. इसका असर विश्व व्यापार, परिवहन, शिपिंग, पर्यटन, और नागरिक उड्डयन पर पड़ रहा है, जो अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.
भारत संघर्ष से रहेगा दूर
इससे एक और संभावना यह बनती है कि चीन दक्षिण चीन सागर में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश करेगा और इस संघर्ष का लाभ उठाकर फिलीपींस या ताइवान पर दबाव बना सकता है. ईरान ने हाल ही में रूस से संपर्क किया है. इसलिए यह देखना होगा कि रूस किस तरह से इस मामले में शामिल होता है. क्या वह अधिक आपूर्ति करेगा, पैसे देगा या हथियार मुहैया कराएगा. इस समय पूरा वातावरण एक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. कई लोग इसे संभावित विश्व युद्ध की दिशा में बढ़ता हुआ मान रहे हैं. अब भारत की भूमिका क्या होगी? भारत इस संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होगा, लेकिन सभी देशों की अपेक्षा है कि भारत एक मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा या शांति का आह्वान करेगा.
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उन्होंने कहा कि भारत को इजरायल और ईरान के बीच एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखा जा सकता है और यहां तक कि यूक्रेन और रूस के बीच भी उसे ऐसा ही प्रस्ताव दिया जा सकता है. यह सब इस पर निर्भर करता है कि दोनों पक्ष भारत को स्वीकार करते हैं या नहीं. भारत को अब इस भूमिका को निभाने के लिए आगे आना होगा.”
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