आजादी के 75 साल में सुप्रीम कोर्ट में एक नायाब इतिहास रचा गया है. एक महिला मूक-बधिर वकील (Female Deaf Lawyer) पहली बार बहस करने के लिये अपने अनुवादक के साथ पेश हुईं. दिव्यांगों को मौका देने के लिये सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ( Dhananjaya Y. Chandrachud) की इस पहल को मील का पत्थर माना जा रहा है. देखिये एनडीटीवी इंडिया की यह खास कोशिश, जिसमें खुद बधिर वकील सारा सनी बता रही हैं कोर्ट में हुये उनके नायाब अनुभव के बारे में.