Malwa-Mahila And Kabir: मालवा की मिट्टी में गुनगुनाते हैं कबीर

  • 20:50
  • प्रकाशित: फ़रवरी 10, 2024
कबीर के बारे में कहते हुए गुलजार कहते हैं वो सिदक और सदाकत की आवाज है। मालवा में तो ये एक परंपरा है। धरती की बानी हेलियों की जबानी मालवा, महिला और कबीर... वो कबीर जो मालवा के हर घर में बसते हैं अपनी परंपरा के साथ चलते हैं। कहते हैं माला कहे है काट की तू क्यों फेरे मोए मनका मनका फेर दे तुरंत मिला दूँ तोय। तो ये जो यात्रा है कबीर की महिला की कबीर को समझने की, मालवा को समझने की वो इसी भाव के साथ है की कोई परंपरा नहीं कोई शास्त्रीयता नहीं एक भाव एक भक्ति और इसी से ईश्वर और लोगों का संवाद यही इस यात्रा का मकसद है और यही हमारे कार्यक्रम की भी आत्मा।

संबंधित वीडियो