ITR Filing Last Date: वित्त वर्ष 2023-24 (Fiscal Year 2023-24) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की डेडलाइन नजदीक है. 31 जुलाई 2024 तक आइटीआर भरने का अंतिम मौका (ITR Filling Deadline) है. ऐसे में आपके सामने पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) और नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में से किसी एक को चुनने का मौका होगा. दोनों व्यवस्थाओं में कर की दरें और लाभ अलग-अलग हैं. इन दोनों टैक्स रिजीम में एक जैसी बात ये है कि इन दोनों में टैक्सपेयर्स को 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का लाभ दिया जाता है.
क्या है न्यू टैक्स रिजीम? (New Tax Regime)
साल 2023 में सरकार द्वारा पेश बजट में नई कर व्यवस्था के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर छूट सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी थी. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87 ए के तहत छूट भी 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख कर दी गई थी. मतलब 7 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को नई व्यवस्था के तहत कोई टैक्स नहीं देना होगा. नई व्यवस्था के तहत किसी व्यक्ति (जिसकी नेट सालाना इनकम 7 लाख रुपये से अधिक नहीं है) धारा 87ए के तहत छूट का लाभ उठा सकता है. छूट की राशि आयकर का 100 प्रतिशत या 25,000 रुपये, जो भी कम हो. वहीं, पुरानी व्यवस्था में किसी व्यक्तिगत करदाता (जिसकी नेट सालाना इनकम 5 लाख रुपये तक है) धारा 87ए के तहत छूट का लाभ उठा सकता है. छूट की राशि आयकर का 100 प्रतिशत हो सकती है या 12,500 रुपये, जो भी कम हो.
टैक्स स्लैब में अंतर (Difference Between Tax Slabs)
नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए तीन लाख से छह लाख तक 5% टैक्स वसूला जाएगा, छह से नौ लाख तक की आय पर 10%, नौ से 12 लाख तक की आय पर 15%, 12 से 15 लाख तक की आय पर 20% और 15 लाख से अधिक की इनकम वालों पर 30% टैक्स लगाया जाता है. पुरानी रिजीम में सिर्फ पांच लाख तक की इनकम पर टैक्स से छूट मिलती है. 2.5 लाख से पांच लाख तक की आय पर 5%, पांच से 10 लाख की आय पर 20% और 10 लाख से अधिक की इनकम पर 30% टैक्स देना होता है.
नई व्यवस्था vs पुरानी व्यवस्था: आप किसे चुन सकते हैं?
आयकर विशेषज्ञों की मानें तो, अगर आपके पास कोई बचत, निवेश और कटौती नहीं है, तो नई कर व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद है. हालांकि, अगर आप बचत, निवेश और कटौतियों का उपयोग करते हैं तो पुरानी कर व्यवस्था ज्यादा सही हो सकती है. नई कर व्यवस्था कम टैक्स रेट ऑफर करती है, लेकिन पुरानी व्यवस्था के तहत उपलब्ध कई छूट और कटौतियों को खत्म कर देती है. दूसरी ओर, पुरानी कर व्यवस्था में टैक्स रेट अधिक हैं, लेकिन इसमें अधिक कटौती और छूट की अनुमति है.