New Labour Code: नए लेबर कानून गिग वर्कर्स और महिलाओं को बनाएंगे सशक्त, छुट्‌टी से वेतन तक जानिए सबकुछ

New Labour Laws: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में चार नए लेबर कोड तुरंत प्रभाव से लागू करने की घोषणा की है. इनके जरिए 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है. इससे गिग वर्कर्स और महिलाओं को क्या फायदा होगा जानिए.

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Labour Codes: नए लेबर कानून गिग वर्कर्स और महिलाओं को बनाएंगे सशक्त, छुट्‌टी से वेतन तक जानिए सबकुछ

New Labour Code: केंद्र की ओर से शनिवार को दी गई जानकारी के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत के लेबल वेलफेयर फ्रेमवर्क में एक महत्वपूर्ण सुधार को पेश करती है. इसका उद्देश्य वर्कफोर्स के सभी सेक्शन के लिए खासकर गिग और महिला कर्मचारियों के व्यापक और इंक्लूसिव सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यह नौ मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एक सिंगल और स्ट्रीमलाइन फ्रेमवर्क में लाती है. नए नियमों के तहत पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारियों को मान्यता दी जा रही है और उनके कल्याण के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जा रही है. इसके अलावा, असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म क्षेत्रों के विभिन्न श्रमिक वर्गों के लिए योजनाएं बनाने और इसकी निगरानी के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना की जाएगी, जो सरकार को सलाह देने का काम करेगा.

गिग वर्कर्स को यूआईडी

सभी असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को नेशनल पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना होगा, जिसके बाद प्रत्येक श्रमिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) प्राप्त होगी. यह आधार द्वारा सत्यापित होगी और पूरे देश में मान्य होगी.

महिलाओं के लिए क्या है खास?

नए नियमों में महिला कर्मचारियों के लिए भी सुधार पेश किए गए हैं. नए नियमों के तहत, वह महिला कर्मचारी जो प्रसव से पहले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम कर चुकी हो, वह छुट्टियों की अवधि के दौरान अपने एवरेज डेली वेजस के बराबर मैटरनिटी बेनेफिट पा सकती है. मैटरनिटी लीव की अधिकतम अवधि 26 हफ्ते रहेगी, जिसमें से प्रसव से पहले अधिकतम 2 महीने का अवकाश पहले लिया जा सकता है.

  • इसके अलावा, जो महिला 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है या सरोगेसी का इस्तेमाल करने वाली बायोलॉजिकल मदर है, उसे गोद लेने की तारीख से या बच्चा उसे मिलने की तारीख से 3 महीने की मैटरनिटी लीव मिलेगी.
  • नए नियमों के तहत गर्भावस्था, प्रसव, गर्भपात, या इससे जुड़ी बीमारी जैसी मातृत्व-संबंधी स्थितियों का प्रमाण संहिता के तहत सरल बना दिया गया है. अब रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्‍नर, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा कार्यकर्ता), योग्यता-प्राप्‍त सहायक नर्स या दाई मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर सकते हैं.
  • सेक्शन 64 के तहत अगर कंपनी की ओर से महिला कर्मचारी को प्रसव से पहले और प्रसव के बाद फ्री देखभाल नहीं उपलब्ध करवाई जाती है तो कर्मचारी को 3,500 रुपए का मेडिकल बोनस दिया जाएगा.
  • इसके अलावा, डिलीवरी के बाद काम पर लौटी महिला कर्मचारी को उसके बच्चे के 15 महीने का होने तक उसे दूध पिलाने के लिए प्रतिदिन दो नर्सिंग ब्रेक दिए जाएंगे.
  • मैटरनिटी लीव के बाद काम पर लौटी महिला कर्मचारी को अगर काम घर से किया जाने वाला हो तो वर्क फ्रॉम होम दिया जाएगा. वर्क फ्रॉम होम की यह सुविधा नियोक्ता और कर्मचारी की आपसी सहमति पर दिया जा सकेगा.
  • क्रेच सुविधा को लेकर नियमों में साफ किया गया है कि 50 से इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच-सुविधा प्रदान करनी होगी.

इसके अलावा, महिला कर्मचारी को क्रेच में प्रतिदिन चार बार जाने की अनुमति देनी होगी. अगर महिला कर्मचारी को क्रेच की सुविधा नहीं मिलती है तो उसे प्रति बच्चे के लिए कम से कम प्रति माह 500 रुपए क्रेच भत्ता देना होगा, जो कि अधिकतम दो बच्चों तक के लिए दिया जाएगा.

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