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संकट में सीवन का अस्तित्व… सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च लेकिन नदी में बूंद भर पानी नहीं

MP NEWS: मध्य प्रदेश के सीहोर में स्थित सीवन नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, लेकिन पानी की कमी और अतिक्रमण के कारण इसकी स्थिति खराब हो रही है.

संकट में सीवन का अस्तित्व…   सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च लेकिन नदी में बूंद भर पानी नहीं
सीवन नदी

Sehore News: मध्य प्रदेश के सीहोर में नगर वासियों के लिए सीवन नदी लाइफ लाइन की तरह है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. लोगों की सीवन नदी के प्रति गहरी आस्था है. इसलिए सीवन नदी को संवारने की बार-बार आवाज उठती रहती है. करीब दो दशक से नदी के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रूपए की राशि खर्च की गई लेकिन हालात नहीं सुधरे. सीवन नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.

शहर की प्राणदायिनी कही जाने वाली सीवन नदी का अस्तित्व संकट में है. एक बार फिर सौंदर्यीकरण और गहरीकरण की कार्ययोजना तैयार की गई है. करीब 25 करोड़ की कार्य योजना बनाई गई है, अब देखना काबिले गौर होगा कि नदी के सौंदर्यीकरण और गहरीकरण की योजना कितनी कारगर साबित होगी. 

25 करोड़ की योजना…

नगर पालिका सीहोर द्वारा सीवन नदी के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए 25 करोड़ की योजना बनाई गई है. बीते एक साल से यहां 4 करोड़ रूपये की लागत से नदी सौदर्यकरण और गहरीकरण का कार्य चल रहा है लेकिन यहां नदी के चारों तरफ अतिक्रमण, गंदगी, मिटटी के बड़े-बड़े ढेर लगे हैं. इसके चलते नदी में पर्याप्त पानी संरक्षित नहीं हो पाता. वर्तमान में नदी पूरी तरह से सूखी पड़ी हुई है. नदी के सूख जाने से आसपास के क्षेत्र के बोर भी दम तोड़ देते हैं. लिहाजा नगर में जल संकट की स्थिति निर्मित हो रही है. 

गर्मियों में सीवन नदी में पर्याप्त पानी बना रहे इसके लिए भगवानपुरा तालाब से पानी छोड़ा जाता है, लेकिन तालाब से नदी तक मिलने वाली नहर भी अतिक्रमण की चपेट में है. कई लोगों ने नहर पर अतिक्रमण कर बंद कर दिया है. ऐसे में डेम का पानी सीहोर सीवन नदी तक आना मुश्किल हो गया है. 

जनवरी में ही सूख गई नदी

बीते साल भी गर्मियों के दिनों में सीवन नदी गहरीकरण कार्य किया गया, जिसपर लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन हालात नही बदले, जनवरी माह में ही नदी सूख गई. 

शहर के वरिष्ठ नागरिक ओमदीप ने बताया कि पूर्व में यहां नदी में पूरे साल भर पानी रहता था. हरियाली भी भरपूर रहती थी. नदी में साफ पानी हुआ करता था और लोग पीने का पानी भी ले जाया करते थे. वहीं प्रशासनिक और राजनीतिक अनदेखी के चलते अब जनवरी-फरवरी में ही पानी खत्म होने लगता है. 

शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता रामनारायण ताम्रकार ने बताया कि नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. लोगों की आस्था सीवन से जुड़ी हुई है, ऐसा नहीं है सौदर्यीकरण और गहरीकरण पहली बार हो रहा है, पूर्व में भी शासन और नगर पालिका द्वारा यहां प्रयास किए गए लेकिन वह प्रभावी साबित नहीं हुए क्योंकि कुछ दिन अभियान चलाया और बंद कर दिया गया.  आज अतिक्रमण के कारण नदी संकरी हो गई है. शहर के गंदे नालों का पानी इसमें प्रवाहित किया जा रहा है. कोई ध्यान नहीं देने वाला नहीं है. ईमानदरी और सर्मपण भाव से शासन-प्रशासन और शहर वासियों को प्रयास करने होंगे, तभी हम सीवन का उद्धार सही मायनों में कर पाएंगे. 

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