सतना : बीमारी में पहले गंवाया एक पैर अब ट्राई साइकिल के लिए काटने पड़ रहे हैं दफ्तरों के चक्कर

दिव्यांग बाबा को गोद में लेकर चलने वाले विनय अहिरवार ने बताया कि ट्राई साइकिल न होने से बाबा को एक वर्ष से गोद में उठाकर यहां से वहां लेकर जाता हूं.

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ट्राई साइकिल के लिए काटने पड़ रहे हैं दफ्तरों के चक्कर

सतना: चल-फिर पाने में अक्षम दिव्यांगों के लिए सरकार मोटराइज्ड ट्राई साइकिल और हाथ रिक्शा उपलब्ध कराती है. लेकिन सतना के 75 वर्षीय दिव्यांग कुशऊआ अहिरवार के लिए उनके नाती की गोद ही सहारा बनी हुई है. कुशऊआ खुद से आवागमन कर सकें इसके लिए उन्होंने तमाम विभागों के चक्कर लगाए. लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिली. कभी सामाजिक न्याय विभाग, तो कभी नगर निगम कार्यालय के चक्कर काटते रहे. लेकिन नाती की गोद के बिना चल पाने का सपना पूरा नहीं हो पाया.

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नगर निगम कार्यालय से मदद की उम्मीद लेकर पहुचे दिव्यांग कुशऊआ का बायां पैर एक साल पहले डॉक्टर ने सड़न के चलते काट दिया था. तब से लेकर अब तक वह चल नहीं पा रहे हैं. उन्हें आने-जाने के लिए अपने नाती या फिर अन्य रिश्तेदारों की गोद का सहारा लेना पड़ता है.

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साल भर से परेशान
दिव्यांग बाबा को गोद में लेकर चलने वाले विनय अहिरवार ने बताया कि ट्राई साइकिल न होने से बाबा को एक वर्ष से गोद में उठाकर यहां से वहां लेकर जाता हूं.  कुशउआ अहिरवार 75 वर्ष पत्नी बेला अहिरवार के साथ नौखड़ खुर्द रैगांव में रहते हैं. अक्सर वह नाती और पत्नी की गोद के सहारे 35 किमी का सफर कर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते हैं.

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योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं
सामाजिक न्याय विभाग की ओर से दिव्यांग लोगों की सहायता के लिए उपकरण वितरण किए जाते हैं. लेकिन कुशऊआ अहिरवार जैसे तमाम लोग भटक रहे हैं उन्हें  योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कुशउआ अहिरवार कई बार सामाजिक न्याय विभाग में आवेदन देकर मदद की गुहार लगा चुके हैं. 

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