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Waqf Case: वक्फ बोर्ड को लेकर बड़ा झटका, रीवा में बगैर वक्फ कराए निजी संपत्ति को अपना बताया, जानें-पूरा मामला

Rewa News in Hindi: रीवा से वक्फ को लेकर एक मामला सामने आया है. यहां बिना वक्फ कराए निजी संपत्ति को अपना बताने के मामले में हाईकोर्ट ने इस्टे देते हुए बोर्ड से जवाब मांगा है. आइए आपको पूरे मामले के बारे में बताते हैं.

Waqf Case: वक्फ बोर्ड को लेकर बड़ा झटका, रीवा में बगैर वक्फ कराए निजी संपत्ति को अपना बताया, जानें-पूरा मामला
दरगाह को वक्फ ने बताया अपना

Rewa Waqf Case Latest News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा में वक्फ बोर्ड को हाईकोर्ट (High Court) से बड़ा झटका लगा है. रीवा में 100 साल से ज्यादा पुरानी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड ने अपना मलिकाना हक जताया, तो संपत्ति मलिक हाईकोर्ट पहुंच गए. उनको वहां से इस्टे मिल गया है. हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से मामले में जवाब मांगा है और पूछा है कि निजी संपत्ति आपकी कैसे हो सकती है. 17 फरवरी की अगली पेशी में वक्फ बोर्ड इस बात का जवाब पेश करें. इधर, लंबे समय से देखा जा रहा है कि जहां कहीं भी दरगाह, मजार या मस्जिद निजी दिखाई देती है. तो वक्फ बोर्ड उसमें अपना दावा ठोक देता है. 

क्या है पूरा मामला

रीवा में 100 साल से ज्यादा पुरानी अमहिया मोहल्ले में एक हाजी सैयद जहूर अली शाह की मजार है. वहां मौजूद 1200 स्क्वायर फीट जमीन में उन्होंने 400 वर्ग स्क्वायर फीट में हाजी सैयद जहूर अली शाह की दरगाह का निर्माण करा दिया. बाकी जमीन खाली पड़ी रही है. यह जमीन अब्दुल मन्नान की निजी भूमि थी. इसी के साथ उन्होंने अपने निजी आवास में एक मस्जिद का निर्माण करवाया था. यह उस समय की बात है जब रीवा में अकाल पड़ा था. लोगों को काम की जरूरत थी. इलाके के लोगों को काम देने के लिए दो वक्त की रोटी के इंतजाम के लिए तभी से इस मस्जिद का नाम अब्दुल मन्नना मस्जिद पड़ गया था.  आज भी लोग इस मस्जिद को इसी नाम से बुलाते हैं. 

शेख अब्दुल मन्नान की मृत्यु 1977 में हो गई. उसके  बाद उनके बेटे अनवारउल हक इस संपत्ति की देखभाल करते रहे. अपनी मृत्यु के लगभग 4 साल पहले अनवर उल हक ने 19 सितंबर 2016 को अपने बेटे हाजी मोहम्मद अली को इस संपत्ति की देखभाल के लिए रजिस्टर्ड तरीके से मुतवली नियुक्त कर दिया. अनवार उल हक की मौत 30 नवंबर 2020 को हो गई. उसके बाद से इस संपत्ति की देखभाल हाजी मोहम्मद अली करते आ रहे हैं. आज भी कर रहे हैं. लेकिन, पिछले दिनों वक्फ बोर्ड ने बगैर किसी सूचना के बगैर किसी जानकारी के इस संपत्ति को अपनी संपत्ति मानते हुए अपने अभिलेख में इसको दर्ज कर लिया. इस बात की जानकारी जैसे ही हाजी मोहम्मद अली को हुई, वह फौरन पहुंच गए हाई कोर्ट और अपनी संपत्ति को वापस अपनी संपत्ति दर्ज करने के  लिए मुकदमा कर दिया. 

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कोर्ट ने कही ये बात

जबलपुर हाईकोर्ट में हाजी मोहम्मद अली की पिटीशन फाइल हो गई. हाईकोर्ट में हाजी सैयद जहूर अली शाह दरगाह प्रकरण पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता हाजी मोहम्मद अली के वकील शीतला प्रसाद त्रिपाठी और सुशील त्रिपाठी की पैरवी के बाद अदालत ने उन्हें इस्टे दे दिया. वक्फ बोर्ड को 17 फरवरी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. वक्फ बोर्ड बताएं, आखिर उसने किसी दूसरे की निजी संपत्ति को इस संपत्ति को अपना कैसे कह दिया. 

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