Vidisha News in Hindi: मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) हर साल खेल विभाग (Sports Department) को लाखों रुपये का बजट देती है, ताकि प्रदेश के युवा खेलों के जरिए अपना भविष्य संवार सकें. लेकिन, सवाल ये उठता है कि क्या ये बजट जमीनी स्तर पर लागू होता है या सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाता है... इसी सच्चाई की पड़ताल करने के लिए एनडीटीवी विदिशा (Vidisha) के एकमात्र खेल स्टेडियम में पहुंचा, जहां युवाओं का सपना और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा फासला नजर आता है... आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
एसपी रोहित कासवानी ने किया स्टेडियम का निरीक्षण
जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर वाला विदिशा खेल स्टेडियम
विदिशा का एक मात्र खेल स्टेडियम, जो भविष्य के एथलीट्स और देश के रक्षक तैयार करने का दावा करता है, आज खुद अपनी बदहाली पर रो रहा है. रोज सैकड़ों युवा यहां अपने सपनों को पंख देने आते हैं, लेकिन बदले में उन्हें टूटी-फूटी सुविधाएं, जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशासन की बेरुखी देखने को मिलती है.
विदिशा खेल स्टेडियम की हालत जर्जर
मामले को लेकर एसपी ने कही ये बात
विदिशा के एसपी रोहित कासवानी जब आम नागरिक की तरह ट्रैकशूट पहनकर स्टेडियम पहुंचे, तो उनकी आंखें भी यह हाल देखकर फटी रह गईं. जिस ट्रैक पर बच्चों को दौड़ना चाहिए, वहां कंकड़-पत्थर बिखरे पड़े हैं. वर्कआउट के लिए बना जिम महज दिखावे के लिए रह गया है और बास्केटबॉल कोर्ट की जालियां खुद ही अपनी दास्तान बयां कर रही हैं.
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खिलाड़ियों ने बताया अपना दर्द
जब हमारी टीम ने उन युवाओं से बात की, जो यहां पुलिस और सेना की भर्ती की तैयारी कर रहे हैं, तो उनका दर्द साफ झलक उठा... एक खिलाड़ी ने कहा, "सर, आप ही देख लीजिए इस ट्रैक की हालत! कभी पैर मुड़ जाता है, तो कभी खून निकल आता है. लेकिन, यहां किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है."
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